देहरादून:आज जिस दौर में शिक्षा एक पेशा और शिक्षक व्यापारियों की तरह व्यवहार करने लगे हों, ऐसे समय में पहाड़ के एक बेटे ने शिक्षक के रूप में जो किया, उसे पूरे गांव की नम आंखें बयां कर रही हैं. आशीष डंगवाल का नाम अब उन शिक्षकों की फेहरिस्त में शामिल हो गया है, जिन्होंने विद्या ददाती विनयम की कहावत को चरित्रार्थ किया है.
शिक्षक जिसके ट्रांसफर से रो उठा पूरा गांव आशीष पिछले तीन सालों से उत्तरकाशी के भंकोली गांव स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में अपनी सेवाएं दे रहे थे. लेकिन पिछले दिनों अचानक आई उनकी ट्रांसफर की खबर से पूरे गांव में मायूसी की लहर दौड़ गई. जिसने भी यह सुना कि आशीष अब गांव को छोड़कर जाने वाले हैं, वह फूट-फूटकर रोने लगा. लेकिन सरकारी आदेश पर आशीष को जाना पड़ा, जिसके बाद गांव के बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों ने भी नम आंखों के साथ आशीर्वाद देते हुए आशीष को ढोल नगाड़ों के साथ विदा किया.
ढोल दमाऊ के साथ हुई आशीष की गांव से विदाई. पढे़ं-इस शिक्षक ने जीत लिया पूरे उत्तराखंड का दिल, विदाई पर रो पड़ा पूरा गांव
वहीं ईटीवी भारत ने आशीष से खास बातचीत की है. जिसमें शिक्षक आशीष भी ग्रामीणों और बच्चों को याद करते हुए रोने लगे. भावुक होते हुए आशीष ने कहा कि वे एक शिक्षक के रूप में वह गांव छोड़कर आए हैं लेकिन एक बेटे के रूप में वे हमेशा उस गांव और वहां के लोगों से जुड़े रहेंगे. साथ ही अगले महीने वापस लोगों से मिलने के लिए गांव आने का उन्होंने वादा भी किया.
गांव वालों से 'आशीष' लेते आशीष. उन्होंने बताया कि दिसंबर 2016 में उनकी तैनाती उत्तरकाशी के भंगोली गांव में हुई थी. जिसके सात महीने बाद ही उनके पिता का निधन हो गया था, आशीष कहते हैं कि इस घटना की जानकारी जब ग्रामीणों को मिली तो उन सब ने मिलकर उन्हें बहुत ढांढस बंधाया. वे याद कर बताते हैं कि वहां के पुरुष बुजुर्ग उनके पास आकर कहते थे कि आशीष ऐसा महसूस मत करना कि तेरे पिता नहीं हैं, तू हममें अपने पिता को देखना. वे बताते हैं गांव के बुजुर्गों को उन्होंने हमेशा माता-पिता के रूप में देखा और छोटे बच्चों को अपने भाई-बहनों जैसा प्यार दिया.
बच्चों से विदाई लेते आशीष. वहीं अपने पढ़ाए हुए बच्चों को पढ़ने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि सभी बच्चे मन लगाकर पढ़ाई में ध्यान दें. साथ ही उन्होंने कहा पढ़ाई के दौरान उनके द्वारा जो भी बातें और विचार साझा किये गये थे, उन्हें जीवनभर वे दिल में संजोकर रखें.
गांव वालों को धन्यवाद देते आशीष. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए आशीष भी अपने आंसुओं को नहीं रोक पाए. उन्होंने कहा कि बीते 2 दिनों से गांव के बुजुर्ग उनसे बात कर रहे हैं और कई छात्र-छात्राएं स्कूल भी नहीं जा रही हैं. इतना ही नहीं, 5 साल की रानी नाम की छात्रा बीते 24 घंटे से बेहोशी की हालत में है. उसकी हालत वीडियो कॉल पर देख कर उन्हें बेहद दुख हो रहा है. आशीष का कहना है कि उन्होंने सिर्फ काम किया है और एक रिश्ता ऐसा बनाया है जिसको वह जिंदगी भर निभाना चाहेंगे.
अपने प्रिय शिक्षक से लिपटकर रोते बच्चे. आशीष का कहना है कि उनकी नियुक्ति भले ही किसी और जगह पर हो गई हो लेकिन वह गांव वालों से वादा करके आए हैं कि उनका दूसरा घर भकोली ही होगा और वह हर 3 महीने में गांव आते रहेंगे. आशीष डंगवाल ने बताया कि उन्होंने नई जगह ज्वाइन कर लिया है. दूसरी जगह पर वह बच्चों को पढ़ाने भी लगे हैं, लेकिन उन बच्चों की शक्ल देखकर उन्हें पुराने सभी बच्चों की बहुत याद आ रही है.
आशीष को जाता देख भावुक ग्रामीण महिलाएं. बता दें कि रुद्रप्रयाग निवासी सहायक अध्यापक आशीष डंगवाल का चयन प्रवक्ता पद के लिए टिहरी जिले के गड़खेत में हो गया है. आशीष के लिए गांव के लोगों ने मिलकर विदाई समारोह का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम में आशीष की स्पीच खत्म होते ही ग्रामीण उनसे लिपटकर रोने लगे थे.