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अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवसः उत्तराखंड में सुधर रही है बेटियों की स्थिति, रंग ला रही मुहिम

आज अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस है. लिंग असमानता को खत्म करने के लिए प्रतिवर्ष इंटरनेशनल डे ऑफ गर्ल चाइल्ड मनाया जाता है. देशभर में लिंगानुपात की असमानता एक बड़ी समस्या बनी हुई है. उत्तराखंड में लिंगानुपात की दिशा में सुधार हो रहा है.

बलिका दिवस

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Published : Oct 11, 2019, 1:13 PM IST

Updated : Oct 11, 2019, 3:21 PM IST

देहरादून:लड़कियों के विकास के लिए अवसरों को बढ़ावा देने और लिंग असमानता को खत्म करने को लेकर हर साल 11 अक्टूबर को इंटरनेशनल डे ऑफ गर्ल चाइल्ड यानि अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. वहीं, इस दिन का मकसद यह भी है कि समाज में जो दर्जा लड़कों को दिया जाता है वही दर्जा लड़कियों को भी दिया जाए. इसके साथ ही लड़कियों की शिक्षा, पोषण, उनके कानूनी अधिकार, चिकित्सा देखभाल के प्रति समाज को जागरुक किया जाता है. हालांकि, उत्तराखंड राज्य में क्या है लिंगानुपात की स्थिति और इसको लेकर क्या कर रही है राज्य सरकार? देखिये ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

उत्तराखंड में लिंगानुपात बेहतर हो रहा.

देशभर में लिंगानुपात की असमानता एक बड़ी समस्या बनी हुई है. यही वजह है कि लिंगानुपात की असमानता को खत्म करने को लेकर केंद्र और राज्य की सरकारें तमाम योजनाओं को संचालित कर रही हैं. हालांकि, अगर उत्तराखंड की बात करें तो बेटियों को आगे बढ़ने को लेकर 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान भी चल रहा है. इसके साथ ही लोगों को बेटियों के प्रति जागरुक भी किया जा रहा है कि बेटियां बेटों से किसी भी फील्ड में कम नहीं हैं.

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बता दें कि इंटरनेशनल डे ऑफ गर्ल चाइल्ड मनाने की शुरुआत यूनाइटेड नेशन ने साल 2012 में की थी. जिसके बाद से भारत ही नहीं बल्कि तमाम देशों में हर साल 11 अक्टूबर को अन्तरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है.

वहीं, स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली उत्तराखंड की निदेशक डॉक्टर अंजलि नौटियाल ने कहा कि प्रकृति ने स्त्री और पुरुष दोनों को बनाया है. यही नहीं, प्रकृति उसे बैलेंस भी करती है और बैलेंस खराब न हो इसको लेकर स्वास्थ्य प्रबंधन विभाग प्रयासरत है.

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हालांकि, बीते दिनों लिंगानुपात में कमी के आंकड़े सामने आए थे. ऐसे में लिंगानुपात का बैलेंस बराबर रहे इसकी कोशिश की जा रही है, लेकिन इसमें सबसे अहम सामाजिक सोच है, क्योंकि लिंगानुपात को बैलेंस करने के लिए सबसे पहले सामाजिक सोच को सही करना पड़ेगा, कि बेटी भी उतनी ही जरूरी है जितना बेटा.

चलाये जा रहे हैं जागरूकता अभियान

नौटियाल ने बताया कि लिंगानुपात को बैलेंस में रखने को लेकर आशाओं, आरकेएस प्रोग्राम और स्वास्थ्य विभाग के काउंसलर्स के माध्यम से जन जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है, लेकिन इसमें शिक्षा की एक अहम भूमिका है. शिक्षा के माध्यम से ही महिलाओं को सुरक्षित और स्वस्थ्य कर पाएंगे और समाज को इस बुरी सोच से बाहर निकाल पाएंगे.

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इसके साथ ही उन लोगों पर भी नजर रखी जा रही है जो लिंगानुपात को बिगाड़ने की कोशिश करते हैं. इसके लिए एक्ट भी बना हुआ है जिसमें लिंग चयन एक अपराध माना गया है. इसमें अगर कोई व्यक्ति संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है. इन सबके निरीक्षण के लिए टीम भी बनाई गई है जो अल्ट्रासाउंड केंद्रों का निरीक्षण करती है.

लिंगानुपात के आंकड़े

उत्तराखंड राज्य में लिंगानुपात की बात करें तो साल दर साल बेटियों की स्थिति सुधरती नजर आ रही है. स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2015-16 में लिंगानुपात 906 था जिसके बाद साल दर साल बढ़ते-बढ़ते साल 2018-19 में 938 तक पहुंच गया. हालांकि साल 2019 के जुलाई महीने तक की बात करें तो अभी फिलहाल यह 932 है. यही नहीं इस साल बागेश्वर जिले में 1000 पुरुषों के मुकाबले 1190 महिलाएं हैं तो वहीं सबसे कम पिथौरागढ़ जिले में 1000 पुरुषों के मुकाबले 895 महिलाएं हैं.

साल 2015-16 में लिंगानुपात की जिलावार स्थिति

जिला लिंगानुपात
अल्मोड़ा 900
बागेश्वर 894
चमोली 944
चंपावत 959
देहरादून 933
हरिद्वार 892
पौड़ी 876
टिहरी 918
नैनीताल 901
पिथौरागढ़ 1010
रुद्रप्रयाग 915
उधमसिंहनगर 908
उत्तरकाशी 903

साल 2016-17 में लिंगानुपात की जिलावार स्थिति

जिला लिंगानुपात
अल्मोड़ा 947
बागेश्वर 925
चमोली 893
चंपावत 973
देहरादून 923
हरिद्वार 884
पौड़ी 917
टिहरी 898
नैनीताल 873
पिथौरागढ़ 891
रुद्रप्रयाग 957
उधम सिंह नगर 908
उत्तरकाशी 971

साल 2017-18 में लिंगानुपात की जिलावार स्थिति

जिला लिंगानुपात
अल्मोड़ा 930
बागेश्वर 895
चमोली 904
चंपावत 922
देहरादून 935
हरिद्वार 901
पौड़ी 918
टिहरी 900
नैनीताल 866
पिथौरागढ़ 904
रुद्रप्रयाग 913
उधम सिंह नगर 942
उत्तरकाशी 926

साल 2018-19 में लिंगानुपात की जिलावार स्थिति

जिला लिंगानुपात
अल्मोड़ा 974
बागेश्वर 982
चमोली 900
चंपावत 876
देहरादून 931
हरिद्वार 903
पौड़ी 906
टिहरी 951
नैनीताल 900
पिथौरागढ़ 946
रुद्रप्रयाग 953
उधम सिंह नगर 960
उत्तरकाशी 903

जुलाई 2019 तक लिंगानुपात की जिलावार स्थिति

जिला लिंगानुपात
अल्मोड़ा 1035
बागेश्वर 1190
चमोली 903
चंपावत 873
देहरादून 934
हरिद्वार 915
पौड़ी 997
टिहरी 915
नैनीताल 899
पिथौरागढ़ 895
रुद्रप्रयाग 962
उधम सिंह नगर 941
उत्तरकाशी 991
Last Updated : Oct 11, 2019, 3:21 PM IST

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