देहरादूनःउत्तराखंड राज्य अपने विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते हर साल आपदा जैसे हालात से जूझता है. मॉनसून सीजन में तो स्थिति बद से बदतर हो जाती है. यही वजह है कि राज्य सरकार हर साल आपदा के मद्देनजर न सिर्फ भारी भरकम बजट का प्रावधान करती है, बल्कि आपदा से निपटने के लिए तमाम व्यवस्थाओं को भी मुकम्मल करती है. लिहाजा, आपदा के दौरान राहत और बचाव के लिए आधुनिक तकनीक के साथ ही एक इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर की आवश्यकता भी महसूस हो रही थी. जिसे देखते हुए यूएसडीएमए भवन निर्माण का प्रस्ताव रखा गया. जिस पर काम किया जा रहा है.
दरअसल, साल 2013 में केदारघाटी में आई भीषण आपदा (Disaster in Kedarnath) के बाद से ही प्रदेश में जहां एसडीआरएफ का गठन किया गया तो वहीं आपदा से राहत और बचाव के लिए आधुनिक तकनीकी के साथ ही एक इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर की आवश्यकता महसूस हुई. यही वजह है कि विश्व बैंक से पोषित योजनाओं के तहत यूएसडीएमए बिल्डिंग (Uttarakhand State Disaster Management Authority) को बनाए जाने का निर्णय लिया गया.
8 मैग्नीट्यूड के भूकंप को भी झेल लेगी USDMA की इंटीग्रेटेड बिल्डिंग. इस बिल्डिंग के निर्माण कार्य की फाइल कंप्लीट होने में काफी समय बीत गया. इसके बाद जब बिल्डिंग का निर्माण कार्य शुरू हुआ तो फिर कोरोना महामारी ने दस्तक दे दी. इसके अलावा कांट्रेक्टर फॉर्म की लापरवाही के चलते बिल्डिंग का कार्य पूरा होने में एक लंबा समय लग गया. बावजूद इसके अभी भी बिल्डिंग का काम पूरा नहीं हो पाया है.
2014 में हुई थी कमांड कंट्रोल सेंटर बनाने की परिकल्पनाःउत्तराखंड में दैवीय आपदाओं (Disaster in Uttarakhand) से निपटने के लिए भविष्य में इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर एक कारगर कदम के रूप में देखा गया है. देश और दुनिया की आधुनिक तकनीकों से लैस इस इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर की परिकल्पना 2014 में की गई थी. जिसे देहरादून के आईटी पार्क में बनाया जा रहा है, लेकिन निर्माण एजेंसी की लापरवाही के चलते इस कमांड सेंटर को बनने में लंबा समय लग रहा है.
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अपर सचिव आपदा प्रबंधन सविन बंसल ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य में देरी होने के कई वजह हैं. जिसमें मुख्य रूप से वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की दस्तक के साथ ही कांट्रेक्टर फॉर्म की वजह से निर्माण कार्य में देरी हुई है. साथ ही कहा कि कांट्रेक्टर फॉर्म को जनवरी 2023 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की अनुमति दी गई है.
आधुनिक तकनीक से लैस होगी इंटीग्रेटेड बिल्डिंगःअपर सचिव आपदा प्रबंधन सविन बंसल ने बताया कि आपदा के समय क्विक रिस्पॉन्स दे सके, इसलिए उन जानकारियों को तत्काल प्रभाव से रिसीव कर तत्काल सूचना पहुंचना है. साथ ही अपनी कैपेसिटी को भी बढ़ाना इस कमांड कंट्रोल सेंटर की भूमिका रहेगी. हालांकि, यह भी प्रयास किया जा रहा है कि इसे स्टेट ऑफ द आर्ट बनाया जाए.
ताकि नई कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी, सेंसर टेक्नोलॉजी, मॉडर्न टेक्नोलॉजी को एडॉप्ट करे. यह इंटीग्रेटेड बिल्डिंग प्लानिंग, लॉजिस्टिक, ऑपरेशन विंग, आर्म्स फोर्सेज, सिविल सोसाइटी ऑर्गनाइजेशन, जो डिजास्टर मैनेजमेंट को सपोर्ट करती है. इन सबका यहां पर योगदान रहेगा. इसको देखते हुए कमांड कंट्रोल सेंटर (Integrated Command Control Center) बनाया जा रहा है.
8 मैग्नीट्यूड के भूकंप को भी झेल लेगी इंटीग्रेटेड बिल्डिंगः65 करोड़ रुपए से बनने वाली ये इंटीग्रेटेड बिल्डिंग विश्व बैंक पोषित है. दरअसल, प्रदेश में यूडीआरपी फंड की जो प्रोजेक्ट चल रहे हैं, उसके ओर से यह स्पॉन्सर्ड है. इतना ही नहीं इस इंटीग्रेटेड बिल्डिंग को पहाड़ी वास्तुकला वाले अत्याधुनिक भवन के रूप में डिजाइन किया गया है. इमारत को 4 घंटे की फायर रेटिंग को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है.
बेस आइसोलेशन सिस्टम देकर भवन को निरंतर बने रहने के लिए डिजाइन किया गया है. मुख्य रूप से अगर 8 मैग्नीट्यूड का भी भूकंप (earthquake in uttarakhand) आता है तो इस बिल्डिंग को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. साथ ही भवन को न्यूनतम 4 स्टार गृह रेटिंग के साथ ग्रीन बिल्डिंग के लिए डिजाइन किया गया है.
2023 तक पूरा हो जाएगा प्रोजेक्ट का कामःअपर सचिव आपदा प्रबंधन सविन बंसल (Additional Secretary Disaster Management Savin Bansal) ने बताया कि जनवरी 2023 तक इस प्रोजेक्ट के काम को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा. इसके लिए लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. इसके साथ ही इस प्रोजेक्ट में न सिर्फ सिविल पार्ट बल्कि एलवी, एचवी, इलेक्ट्रिकल के साथ ही नए ऑडियो विजुअल सिस्टम और कम्युनिकेशन टेक्निक, फर्नीचर आदि ये सभी पैकेज में शामिल है. लिहाजा, नई बिल्डिंग मैनेजमेंट सिस्टम को डेमोंस्ट्रेट करने का प्रयास है.
उन्होंने कहा कि उनका पूरा प्रयास है कि इसे जनवरी महीने तक पूरा कर लिया जाए. हालांकि, प्रोजेक्ट को पूरा करने की अंतिम तिथि मार्च रखी गई है. अगर इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में तय समय से ज्यादा समय लगता है तो उसके लिए वर्ल्ड बैंक और सरकार से इसकी अनुमति ली जाएगी, लेकिन कोशिश रहेगी कि तय समय के भीतर इस प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया जाए.