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Published : Dec 24, 2020, 8:31 PM IST

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उत्तराखंड के गांधी कहे जाने वाले इंद्रमणि बडोनी को जयंती पर किया गया याद

इंद्रमणि बडोनी को ऐसे ही उत्तराखंड का गांधी नहीं कहा जाता है. इसके पीछे उनकी महान तपस्या और त्याग रहा है. राज्य आंदोलन को लेकर उनकी सोच और दृष्टिकोण को आज भी शिद्दत से याद किया जाता है.

Indramani Badoni birth anniversary
इंद्रमणि बड़ोनी

मसूरी: उत्तराखंड राज्य आंदोलन में अग्रणी नेता और पहाड़ के गांधी के नाम से प्रसिद्ध स्व. इंद्रमणि बडोनी की गुरुवार (24 दिसंबर) को 97 वीं जयंती थी. इस दौरान मसूरी में उनकी याद में एक कार्यक्रम आयोजित किया है. इस कार्यक्रम में उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत और मसूरी विधायक गणेश जोशी भी मौजदू रहे. दोनों ने इंद्रमणि बडोनी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया.

कार्यक्रम में समिति के पदाधिकारियों ने उत्तराखंड के गांधी बडोनी के जीवन परिचय और राज्य आंदोलन में उनकी भूमिका पर के बारे में विस्तार से बताया. इस दौरान मसूरी नगर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि जल्द ही बडोनी जी की आदमकद मूर्ति लगाई जायेगी.

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इस मौके पर इन्द्रमणि मणि बडोनी विचार मंच के महासचिव प्रदीप भंडारी ने कहा कि अब सरकार पहाड़ के गांधी और उनके विचारों को भूलने लगी है. उनकी जयंती पर मात्र एक काला विज्ञापन देकर इतिश्री कर लेती है. जरूरत बडोनी के विज्ञापन की नहीं है, बल्कि उत्तराखंड राज्य निर्माण की मांग के पीछे बडोनी जी के जो सपने थे, उनको जमीन पर उतारने की है.

इन्द्रमणि मणि बडोनी विचार मंच के अध्यक्ष पूरन जुयाल ने कहा कि पहाड़ के गांधी की प्रतिमा उत्तराखंड विधानसभा, सचिवालय, मुख्यमंत्री आवास और समस्त सरकारी कार्यालयों में स्थापित होनी चाहिए.

वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड के इस सच्चे सपूत ने 72 वर्ष की उम्र में 1994 में राज्य निर्माण की निर्णायक लड़ाई लड़ी और आज उनके की देन है कि उत्तरखण्ड राज्य का निर्माण हो सका. अपने अंतिम समय इलाज कराते हुए भी बडोनी जी हमेशा उत्तराखंड की बात करते थे. 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत हमेशा के लिये सो गया था.

उन्होंने बताया कि वन अधिनियम के विरोध में उन्होंने आन्दोलन का नेतृत्व किया और पेड़ों के कारण रुके पड़े विकास कार्यों को खुद पेड़ काट कर हरी झंडी दी. 1988 में तवाघाट से देहरादून तक की उन्होंने 105 दिनों की पैदल जन संपर्क यात्रा की.

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