देहरादून: उत्तराखंड राज्य के हिस्से एक और उपलब्धि दर्ज हो गई है. प्रदेश में जल्द ही साइंस सिटी का निर्माण होने जा रहा है. यह देश की पांचवीं साइस सिटी (India's fifth science city) होगी. जिसका निर्माण देहरादून के झाझरा (fifth science city in dehradun) में किया जाएगा. यहां पर अभी विज्ञान धाम के रूप में रीजनल साइंस सेंटर स्थापित है. वहीं, साइंस सिटी के निर्माण के लिए उत्तराखंड शासन ने बजट भी जारी कर दिया है.
बता दें कि देश में अभी कुल चार साइस सिटी बनाई गई है. जिसमें पहली पश्चिम बंगाल (कोलकाता), दूसरी असम (गुवाहाटी), तीसरी गुजरात (अहमदाबाद) और चौथी पंजाब (कपूरथला) में है. वहीं, अब पांचवीं सांइस सिटी देहरादून में स्थित होने जा रही है. इस साइंस सिटी के निर्माण के लिए प्रथम चरण के कार्यों के लिए 15 करोड़ रुपये जारी किये (15 crores released for science city) गए हैं. वहीं, इसके पीछे सीएम पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar singh dhami) की अहम भूमिका है. क्योंकि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भी उन्हीं के पास है और केंद्र के साथ निरंतर संवाद के जरिये ही इस साझी परियोजना के बजट की राह आसान हो पाई.
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उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकास्ट) के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत के मुताबिक, केंद्र सरकार ने करीब चार साल पहले साइंस सिटी की मंजूरी प्रदान की थी. हालांकि, बजट के अभाव में बात आगे नहीं बढ़ पाई. वहीं, इसी साल सरकार से साइंस सिटी के निर्माण के लिए प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी.
ऐसे में उत्तराखंड शासन से बजट जारी हो जाने के बाद जल्द निर्माण शुरू किया जाएगा. इस परियोजना का कुल बजट करीब 172 करोड़ रुपये है. कुल बजट का 60 प्रतिशत भाग केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय वहन करेगा, जबकि 40 प्रतिशत बजट राज्य सरकार मुहैया कराएगी. इसका निर्माण रीजनल साइंस सेंटर की जगह को मिलाकर कुल 25 एकड़ में किया जाएगा.
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वहीं, इस सिटी में विज्ञान के तमाम माडल के माध्यम से पर्यावरणीय व भौगोलिक घटनाओं को बताया जाएगा. इसके साथ ही विज्ञान के विभिन्न अनुप्रयोगों को आसान माडल से समझाया जाएगा. जीवन में जो बातें व घटनाएं आम जीवन का हिस्सा हैं, उनके वैज्ञानिक पहलुओं को प्रायोगिक तौर पर बताया जाएगा. जिससे छात्रों समेत हर वर्ग के नागरिकों को विज्ञान की बारीकियों को समझने में मदद मिलेगी और इनकी रुचि भी बढ़ेगी. इसके अलावा साइंस सिटी में प्रदेश की संस्कृति व उनके वैज्ञानिक महत्व को भी रेखांकित किया जाएगा.