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टोक्यो पैरालंपिक में 5 मेडल जिताने वाले कोच सुभाष राणा का स्वागत, कही ये बात

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Published : Sep 16, 2021, 5:25 PM IST

Updated : Sep 16, 2021, 6:16 PM IST

टोक्यो पैरालंपिक में कोच रहे सुभाष राणा के नेतृत्व में भारत ने पहली बार 5 पदक जीतकर इतिहास रचा और देश का मान बढ़ाया. पीएम मोदी से मुलाकात के बाद देहरादून लौटे सुभाष राणा का जोरदार स्वागत किया गया. सुभाष राणा ने कहा कि दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए अनुकुल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की जरूरत है. जिससे वो आसानी से अभ्यास कर सकें.

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सुभाष राणा

देहरादूनःभारतीय पैरा शूटिंग टीम के कोच सुभाष राणा देहरादून पहुंचे. जहां उत्तराखंड राज्य राइफल संघ ने सम्मान समारोह का आयोजन किया. जिसमें सुभाष राणा का जोरदार स्वागत किया और उन्हें सम्मानित किया गया. इस दौरान उन्होंने कहा कि दिव्यांग खिलाड़ियों के साथ काम करना बहुत आसान होता है. बस उन्हें स्नेह की जरूरत होती है. सुभाष राणा की टीम ने टोक्यो पैरालंपिक 2020 में पांच पदक जिताकर देश का गौरव बढ़ाया है.

बता दें कि भारतीय पैराशूटिंग (निशानेबाजी) टीम के कोच सुभाष राणा द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित नारायण सिंह राणा के छोटे बेटे हैं. उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक 2020 में 5 मेडल जिताए थे. सुभाष राणा ने प्रधानमंत्री मोदी से हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि पीएम मोदी ने बड़ी बेबाकी से खिलाड़ियों से वार्ता की. टोक्यो जाने से पहले भी उन्होंने सभी शूटरों और एथलीटों से बातचीत की और उनका मनोबल बढ़ाया. जब मेडल जीतकर आए, तब भी उन्होंने पैराशूटरों को बधाई दी.

टोक्यो पैरालंपिक में 5 मेडल जिताने वाले कोच सुभाष राणा का स्वागत.

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टोक्यो पैरालंपिक में कोच रहे सुभाष राणा का कहना है कि थोड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रेनिंग पर ध्यान दिया जाए तो आने वाले समय में स्पोर्ट्स के लिए काफी संभावनाएं बनेंगी. सरकार की पॉलिसी तो है, लेकिन यह पॉलिसी खिलाड़ियों को ओलंपिक के लिए तैयार करने के लिए कारगर नहीं है. वहीं, द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित और पूर्व निशानेबाज नारायण सिंह राणा का कहना है कि अगर प्रतियोगिता से पहले इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रेनिंग पर काम किया जाए तो खिलाड़ियों के लिए बेहतर रहेगा.

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उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि पैरालंपिक निशानेबाजी में पहली बार 2 गोल्ड 1 सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल जीते गए हैं. यह मेडल उन बच्चों ने जीते जो कहीं न कहीं डिसेबल हैं. नारायण सिंह राणा का कहना है सुभाष राणा ने ऐसे बच्चों के बीच में काम किया और उनकी परेशानियों और उनके हावभाव को समझा. चार साल के अथक प्रयासों के बाद 5 मेडल जीते हैं. जो बड़ी कामयाबी है.

Last Updated : Sep 16, 2021, 6:16 PM IST

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