देहरादून: विपक्ष की लाख कोशिशों के बाद भी शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन बाजी निर्दलीय विधायक मार ले गए. निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार ने सदन में ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जिन्हें विपक्ष तीसरे दिन यानी शुक्रवार को नियम 310 के तहत सदन में उठाने वाली थी, लेकिन प्रीतम पंवार ने ये सवाल गुरुवार को कार्य स्थगन में ही पूछ लिए. हालांकि, सरकार भी प्रीतम पंवार के सवालों को संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई.
निर्दलीय विधायक ने मारी बाजी गुरुवार सुबह को 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई. पूरे दिन सनद में हंगामा देखने के मिला. लेकिन दूसरे दिन का माइलेज धनौल्टी से निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार ले गए. निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार ने प्रश्नकाल में सबसे पहले प्रदेश के सबसे ज्वलंत मुद्दे आयुष आयुर्वेदिक विश्वविद्यालयों में फीस बढ़ोतरी का प्रश्न उठाया. जिसके जवाब सदन में मौजूद आयुष मंत्री हरक सिंह रावत ने दिया.
पढ़ें- मदन कौशिक ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत, किसानों की समस्या पर रखा सरकार का पक्ष
आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय पर पूछे सवाल
विधायक प्रीतम पंवार ने सदन में पूछा की कैसे सरकार की नाक के नीचे आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय को फीस बढ़ाकर हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना हो रही है? इस पर आयुष मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि सरकार ने ऐसे सभी कॉलेजों को नोटिस भेजा है. नोटिस में एक महीने का अल्टीमेटम दिया गया है. जिसके बाद इस तरह के सभी कॉलेजों की संबद्धता एप्लीकेशन निरस्त कर दी जाएगी.
श्राइन बोर्ड पर सरकार को घेरा
वहीं, भोजन अवकाश के बाद कार्य स्थगन में निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार ने श्राइन बोर्ड को लेकर सरकार से सवाल किए. विधायक पंवार ने पूछा कि सरकार प्रदेश के सभी 51 मंदिरों को इस बोर्ड की जद में लाने जा रही है. लेकिन सरकार बताए कि चारधाम के अंतर्गत आने वाले गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर में जब 1960 में भू बंदोबस्ती नहीं थी तो कैसे माना जाय कि वंहा के पंडा समाज, रावल ओर सेवादारों के साथ खिलवाड़ नहीं होगा.
पढ़ें-कार्य बहिष्कार कर धरने पर बैठे गन्ना पर्यवेक्षक, आरोपी किसान की गिरफ्तारी की मांग
इस सबके बीच सदन में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह करती हुई नजर आयी कि इन सवालों पर आज नहीं बल्कि कल चर्चा की जाय. क्योंकि उन्हें डर था कि यदि इन सवालों पर सदन में गुरुवार को चर्चा हो गई तो सरकार को घेरने की कांग्रेस की रणनीति धरी की धरी रह जाएगी. हालांकि, प्रीतम पंवार ने सरकार से सवालों के संतोषजनक उत्तर न मिलने पर सदन का बहिष्कार कर दिया था.