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ब्लैक फंगस ने बढ़ाई उत्तराखंड की मुसीबत, जानें बचने का तरीका

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Published : May 18, 2021, 4:36 PM IST

Updated : May 18, 2021, 5:04 PM IST

कोरोना मरीजों को एक और खतरनाक बीमारी घेर रही है. हालांकि उत्तराखंड में इसके मामले कम हैं, लेकिन ये बेहद खतरनाक बीमारी है. इस बीमारी की वजह से आंखों में फंगल इंफेक्शन हो जाता है और आंखों की रोशनी जाने का खतरा भी मंडरा रहा है.

black fungus in Uttarakhad
उत्तराखंड में ब्लैक फंगस

देहरादून: कोरोना की दूसरी लहर के बीच म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) ने तीरथ सरकार की चिंता बढ़ा दी है. अन्य राज्यों की तरह उत्तराखंड में भी इसके मामले सामने आ रहे हैं. 18 मई तक उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के 28 मामले सामने आ चुके हैं. जिसमें एक मरीज की मौत भी हो चुकी है. जिसके बाद राज्य सरकार भी अलर्ट हो गई है.

उत्तराखंड में ब्लैक फंगस का पहला मामला राजधानी देहरादून से सामने आया था. जिसके बाद ऋषिकेश, अल्मोड़ा सहित दूसरे स्थानों से भी मामले सामने आने लगे हैं. इस वजह से स्वास्थ्य विभाग की चुनौतियां बढ़ गईं हैं. कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके मरीजों के लिए ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के लक्षण को नजरअंदाज करना घातक साबित हो सकता है. लिहाजा किसी भी व्यक्ति में अगर ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई देते हैं तो वह तत्काल डॉक्टरों से सलाह लें. इसके साथ ही ब्लैक फंगस से बचाव को लेकर राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की तरफ से एडवाइजरी भी जारी कर दी गई है.

ब्लैक फंगस ने बढ़ाई उत्तराखंड की मुसीबत.

क्या है म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस)

म्यूकरमाइकोसिस एक ऐसा फंगल इंफेक्शन है, जिसे कोरोना वायरस ट्रिगर करता है. कोविड-19 टास्क फोर्स के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये उन लोगों में आसानी से फैलता है, जो किसी बीमारी से जूझ रहे हैं या उनका इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर है. म्यूकोरमाइसिटीस राइजोपस प्रजाति से संबंधित है. ब्लैक फंगस संक्रमण अस्पताल के साथ ही घरों में भी फैलने की आशंका रहती है. जिसमें पुराने एयर कंडीशनर, सीलन युक्त कमरे, गंदे कपड़े, घाव को ढकने के लिए प्रयोग में लाई गई पट्टी, मिट्टी के कमरों का हवादार ना होना मुख्य कारण है.

ब्लैक फंगस के लक्षण.

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कैसे बनाता है शिकार

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से कोई व्यक्ति फंगल इंफेक्शन का शिकार हो सकता है. ब्लैक फंगस मरीज की स्किन पर भी विकसित हो सकता है. स्किन पर चोट, रगड़ या जले हुए हिस्सों से ये शरीर में दाखिल हो सकता है.

अब तक 28 मरीजों में पुष्टि

उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के कहर से पहले ही लोग काफी परेशान हैं. ऐसे में ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के मरीज मिलने से लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं. उत्तराखंड में अभी तक 28 मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हो चुकी है. उत्तराखंड में पहला मामला बीते शुक्रवार को मैक्स अस्पताल में सामने आया था. इसके बाद शनिवार को ऋषिकेश एम्स, अल्मोड़ा और देहरादून के इंद्रेश अस्पताल में भी एक मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है. इन सबके अलावा मैक्स अस्पताल में एक अभी एक संदिग्ध मरीज भर्ती है.

ब्लैक फंगस से ऐसे बचें.

किन लोगों को खतरा

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, कुछ खास मामलों में ही कोरोना मरीजों में म्यूकरमाइकोसिस का खतरा बढ़ता है. अनियंत्रित डायबिटीज, स्टेरॉयड की वजह से कमजोर इम्यूनिटी, लंबे समय तक आईसीयू या अस्पताल में दाखिल रहना, किसी अन्य बीमारी का होना, पोस्ट ऑर्गेन ट्रांसप्लांट, कैंसर या वोरिकोनाजोल थैरेपी (गंभीर फंगल इंफेक्शन का इलाज) के मामले में ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ सकता है.

स्वास्थ्य महानिदेशक तृप्ति बहुगुणा ने बताया कि ब्लैक फंगस को कोरोना से जोड़ तो नहीं सकते लेकिन, कोरोना संक्रमण होने के बाद शरीर का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर हो जाता है. जिससे ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) को बढ़ने के लिए एक अवसर मिल जाता है.

ब्लैक फंगस के मरीज खोज रहे दवाइयां

कोरोना संक्रमण के बीच ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) की दवा और इंजेक्शन ढूंढने में लोग परेशान हैं. इस बीमारी की दहशत से परेशान लोग मेडिकल स्टोर्स पर पूछताछ करनी शुरू कर दी है. होलसेल केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष नंदा ने बताया कि ब्लैक फंगस को ठीक करने के लिए जो दवाइयां हैं, उसकी डिमांड बढ़ गई है. क्योंकि, प्रदेश में ब्लैक फंगस से संक्रमित कुछ मरीज सामने आए हैं, ऐसे में आगे ब्लैक फंगस के दवाइयों की मांग में बढ़ोत्तरी हो रही है.

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मोर्चा संभालने में जुटी स्वास्थ्य विभाग की टीम

स्वास्थ्य महानिदेशक तृप्ति बहुगुणा ने बताया कि इस कोरोना काल के दौरान लोगों को अलर्ट रहने की जरूरत है. अगर किसी में ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई देते हैं तो वह तत्काल डॉक्टर से सलाह लें. साथ ही तृप्ति बहुगुणा ने बताया कि जो टेक्निकल टीम गठित की है, उस टीम के द्वारा ब्लैक फंगस को लेकर चर्चा हो चुकी है और इस ओर ध्यान दिया जा रहा है कि लोगों में ब्लैक फंगस का संक्रमण न फैले.

मरीजों को शुगर पर रखना होगा विशेष ध्यान

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अशंक एरेन का कहना है कि तीन तरह से म्यूकोरमाइकोसिस से बचा जा सकता है. अगर कोई मरीज एडमिट है तो उसका शुगर लेवल कंट्रोल होना चाहिए. जो मरीज एस्ट्रॉयड लेना चाह रहे हैं, वे सिर्फ और सिर्फ डॉक्टरों की सलाह पर ही लें. अगर मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर है तो इस बात पर ध्यान देना है कि ऑक्सीजन सिलेंडर में लगे फ्लो मीटर में मौजूद पानी डिस्टल वाटर ही होना चाहिए और समय-समय पर बदलना चाहिए. कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद अगर ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) से संबंधित कोई लक्षण नजर आ रहे हैं या महसूस हो रहा तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

ब्लैक फंगस के लक्षण

  1. आंख, नाक के पास लालिमा के साथ दर्द होता है.
  2. मरीज को चेहरे में दर्द और सूजन का एहसास होता है.
  3. मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है.
  4. खून की उल्टी होने के साथ सिर दर्द, खांसी और बुखार होता है.
  5. मरीज की नाक से काला कफ जैसा तरल पदार्थ निकलता है.
  6. मानसिक स्थिति में बदलाव देखा जाता है.
  7. दांतों और जबड़ों में ताकत कम महसूस होने लगती है.
  8. कई मरीजों को धुंधला दिखाई देता है.
  9. मरीजों को सीने में दर्द होता है.
  10. स्थिति बेहद खराब होने पर मरीज बेहोश हो जाता है.

ब्लैक फंगस से ऐसे बचें

  1. शुगर के मरीज बरतें खास सावधानी, शुगर को कंट्रोल में रखें.
  2. शुगर के मरीज कोरोना से ठीक होने के बाद ब्लड शुगर जांचते रहें.
  3. स्टेरॉयड को लेकर डॉक्टरों की सलाह लें.
  4. ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान साफ पानी का ही प्रयोग करें.
  5. जितना हो सके धूल वाले क्षेत्रों में जाने से बचें.
  6. मास्क का प्रयोग करें और मास्क से नाक को जरूर कवर करें.
  7. निर्माण या उत्खनन धूल वाले क्षेत्रों से बचने कोशिश करें.
  8. एंटीबायोटिक्स, एंटी फंगल की दवा को डॉक्टर की सलाह पर ही लें.
  9. तूफान और प्राकृतिक आपदाओं के बाद पानी से क्षतिग्रस्त इमारतों और बाढ़ के पानी के सीधे संपर्क से बचें.
  10. त्वचा के संक्रमण के विकास की संभावना को कम करने के लिए, त्वचा की चोटों को साबुन और पानी से अच्छी तरह साफ करें.
  11. अगर आपको कोविड हुआ है तो बंद नाक को महज जुकाम मानकर हल्के में न लें.
  12. फंगल इंफेक्शन को लेकर जरूरी टेस्ट करवाने में देरी न करें.
Last Updated : May 18, 2021, 5:04 PM IST

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