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ग्रामीणों के कब्जे से मुक्त करवाई गई 100 बीघा जमीन, अब वहां बनेगा BRO मुख्यालय

राज्य सरकार ने 2008 में बीआरओ को तप्पड़ क्षेत्र में 100 बीघा जमीन 30 साल की लीज पर दी थी. इस जमीन का मूल्य बीआरओ ने सरकार के खाते में जमा कर दिया था. लेकिन किसानों ने इस जमीन पर कब्जा करके खेती शुरू कर दी थी. वहीं अब जमीन खाली करवाने के बाद  बीआरओ इस जमीन पर अपना मुख्यालय खोलेगा.

बााआरओ द्वारा जमीन का सीमांकन कराते समय विरोध करते ग्रामीण.

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Published : Apr 30, 2019, 6:20 PM IST

डोईवाला: तप्पड़ क्षेत्र में सीमा सड़क संगठन बीआरओ ने ग्रामीणों के कब्जे से अपनी 100 बीघा जमीन खाली करा ली है. जिसके लिए बीआरओ को पुलिस बल का सहारा लेना पड़ा. जल्द ही बीआरओ इस जमीन पर सीमा सड़क संगठन का मुख्यालय बनाएगा.

जानकारी देती ग्रामीण रेणु देवी और नायब तहसीलदार पदम दत्त नोटियाल.

आपको बता दें कि लाल तप्पड़ क्षेत्र में सरकार ने सीमा सड़क संगठन को 2008 में लगभग 100 बीघा जमीन आवंटित की थी. लेकिन ग्रामीणों ने इस जमीन पर अपना कब्जा जमा लिया था. जिसके बाद से किसान इस जमीन पर खेती कर अपना गुजारा चला रहे थे. वहीं मंगलवार को सीमा सड़क संगठन और पुलिस के जवानों ने मौके पर पहुंच कर जमीन का सीमांकन किया. ग्रामीणों ने सीमांकन का जमकर विरोध किया. जिसके बाद पुलिस की मदद से सीमांकन करा लिया गया.

जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने 2008 में बीआरओ को तप्पड़ क्षेत्र में 100 बीघा जमीन 30 साल की लीज पर दी थी. इस जमीन का मूल्य बीआरओ ने सरकार के खाते में जमा कर दिया था. लेकिन किसानों ने इस जमीन पर कब्जा करके खेती शुरू कर दी थी. वहीं अब जमीन खाली करवाने के बाद बीआरओ इस जमीन पर अपना मुख्यालय खोलेगा.

वहीं नायब तहसीलदार पदम दत्त नौटियाल ने बताया कि सरकार ने 18 हेक्टेयर जमीन बीआरओ को आवंटित की थी. वहीं ग्रामीणों ने जमीन पर कब्जा किया था. लेकिन तहसील की टीम ने बीआरओ की इस जमीन पर सीमांकन कर लिया है. जल्द ही बीआरओ इस जमीन पर अपना निर्माण कार्य शुरू करेगा.

वहीं बीआरओ कमांडर नागेंद्र सिंह ने बताया कि 2008 में यह जमीन बीआरओ के नाम आवंटित हो गई थी. लेकिन कुछ ग्रामीणों ने इस 100 बीघा जमीन पर कब्जा कर रखा था. और नोटिस देने के बाद भी ग्रामीणों ने जमीन खाली नहीं की. साथ ही कुछ किसान मामले को लेकर कोर्ट में गए थे. लेकिन हाईकोर्ट से भी बीआरओ के पक्ष में फैसला आया है. अब बीआरओ जमीन को खाली कर यहां अपना मुख्यालय बनाएगा.

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वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि इस जमीन पर उनके पूर्वज पिछले कई वर्षों से खेती करते आए हैं. गांव के 18 परिवार इस खेती पर निर्भर हैं. लेकिन अचानक जमीन को खाली करने के लिए कहा गया है. ग्रामीणों का कहना है कि उनके परिवारों के भरण पोषण और रहने की व्यवस्था जब तक नहीं होगी. किसान जमीन नहीं छोड़ सकते हैं.

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