देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के खिलाफ देहरादून के राजपुर स्थित वन विभाग की भूमि पर पेड़ काटने और जमीन जाने के मामले में 10 साल बाद दर्ज मुकदमे के बाद जांच पुलिस के लिए टेढ़ी खीर से कम नहीं है. दरअसल इस केस में सबसे रोचक पहलू नत्थूमल नाम के उन तीन व्यक्तियों का जिक्र है, जिनका रहस्य उजागर करना पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. यही कारण है कि मुकदमा दर्ज होने के बावजूद जांच टीम अब तक इसमें कुछ खास नहीं कर पाई है.
तीन-तीन नत्थूमल बने पहेली: दरअसल इस केस की जानकारी के अनुसार वन विभाग की जमीन की रजिस्ट्री नत्थूमल नाम के शख्स ने ही पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू को की थी. लेकिन आज नत्थूमल नाम का एक व्यक्ति भी पुलिस के सामने ही नहीं आया है.
एक नत्थूमल की 1983 में हो चुकी मौत: जानकारी मुताबिक एक नत्थूमल की मौत 1983 में ही हो चुकी है. उसको पुराने दस्तावेजों के अनुसार इस प्रॉपर्टी का वास्तविक हकदार बताए जाता है. हालांकि बाद में वही जमीन ऑन पेपर फॉरेस्ट लैंड की बताई गई. वहीं दूसरी तरफ इस केस में दो अलग-अलग नत्थूमल का नाम भी सामने आया. इनमें से एक मेरठ निवासी नत्थूमल ने वर्ष 2012 में डीजीपी को जमीन की रजिस्ट्री की.
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फिलहाल खाली हैं पुलिस के हाथ: चौंकाने वाली बात है कि आज उस नत्थूमल का भी पता नहीं है. वहीं तीसरे नत्थूमल का क्या रोल था और वह कहां है यह भी पता नहीं. ऐसे में भले ही इस मामले को किन्हीं कारणों के चलते 10 साल बाद मुकदमा दर्ज कर नए सिरे से जांच करने की बात कही जा रही हो, लेकिन फिलहाल पुलिस के हाथ खाली हैं.
हर पहलू की इन्वेस्टिगेशन जारी- एसएसपी: उधर इस मामले में देहरादून एसएसपी दलीप सिंह कुवर का कहना है कि हर एंगल और नए सिरे से गहराई से जांच करने के लिए टीम बनाई गई हैं. सीओ डालनवाला के नेतृत्व में इन्वेस्टिगेशन जारी है. जो भी इस केस के फैक्ट होंगे उनमें विधिसंगत कार्रवाई की जाएगी. एसएसपी के मुताबिक सभी तरह के डाक्यूमेंट्स एविडेंस की विवेचना चल रही है. इतना ही नहीं पूर्व में हुई जांच पड़ताल को भी संज्ञान में लेकर हर पहलू की गहराई में जाकर जो भी यथा उचित कार्रवाई होगी, उसको सुनिश्चित कराया जाएगा.