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सचिवालय में नीति आयोग की अहम बैठक, रिवर्स पलायन पर हुई चर्चा - नीति आयोग की बैठक

प्रदेश की सबसे गंभीर समस्या पलायन को लेकर नीति आयोग के सदस्य की मौजूदगी में सचिवालय में अहम बैठक की गई. बैठक में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा कि सीमान्त क्षेत्र में जनसंख्या की कमी नहीं होना चाहिए.

Important meeting on migration issue
Important meeting on migration issue

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Published : Dec 20, 2019, 9:28 AM IST

Updated : Dec 20, 2019, 12:36 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड राज्य में पलायन एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. जिसको लेकर शासन स्तर पर समय-समय पर रणनीतियां बनती रहती हैं. लिहाजा, इसी क्रम में गुरुवार को सचिवालय में नीति आयोग के सदस्य की मौजूदगी में बैठक आयोजित की गई. जिसमें राज्य के सीमांत क्षेत्रों और अन्य क्षेत्रों में बढ़ रहे पलायन को रोकने और किस तरह पलायन को रिवर्स पलायन में बदला जा सके समेत तमाम बिंदुओं पर चर्चा किया गया.

बैठक में तय हुआ कि राज्य में लघु उद्योगों को बढ़ावा देने से स्थानीय लोगों को काम मिलेगा, जिससे पलायन रुकेगा. साथ ही स्थानीय कृषि को बढ़ावा देने के साथ-साथ कृषि के मोड में बदलाव की जरूरत है. क्योंकि, पहाड़ी जनपदों में एक ही तरह की कृषि होती है. इसलिए परम्परागत कृषि के आलावा ऑर्गेनिक कृषि और अन्य फसलों कि खैती को भी बढ़ावा देने की जरूरत है. इससे पलायन तो रुकेगा ही साथ ही रिवर्स पलायन भी होगा.

सचिवालय में नीति आयोग की अहम बैठक.

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा कि सीमान्त क्षेत्र में जनसंख्या की कमी नहीं होना चाहिए. क्योंकि, ये आबाद गांव सीमा प्रहरी का कार्य करते हैं. साथ ही राज्य में कृषि के प्रति घटते रुझान पर चिन्ता व्यक्त करते हुए सुझाव दिया गया कि लैण्ड लीजिंग कानून में परिवर्तन करके कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. जिससे खाली जमीन का उपयोग हो सके.

नीति आयोग के सदस्य ने प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में सेटेलाइट सिटीज को विकसित करने का सुझाव देते हुए उन्होंने समान परिस्थिति के पड़ोसी हिमाचल राज्य की रणनीति का भी अनुभव शामिल करने का भी अधिकारियों को सुझाव दिया. साथ ही कहा कि उत्तराखंड के सीमान्त क्षेत्रों से पलायन होना चिंता का विषय है. पलायन से गांव में रह रहे अन्य लोगों में भी असुरक्षा का वातावरण होता है.

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वहीं, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि विकास के साथ- साथ पलायन सभी राज्यों में हुआ है लेकिन उत्तराखंड सीमांत क्षेत्र से जुड़ा होने के कारण यहां का गांव खाली होना चिंता की बात है और उत्तराखंड की 90 प्रतिशत कृषि वर्षा पर निर्भर है और भौगोलिक परिस्थिति के कारण यहां विभिन्न योजनाओं में संचालित अवस्थापना निर्माण कार्यों में लागत अधिक आती है. साथ ही बताया कि पलायन यहां की गंभीर समस्या है. इसीलिए भारत सरकार से हिमालयी राज्यों के लिए पृथक नीति बनाने का आग्रह किया है और आपदा के मानकों को भौगोलिक स्थिति के अनुरूप सुसंगत करने का भी अनुरोध किया गया है.

Last Updated : Dec 20, 2019, 12:36 PM IST

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