देहरादून:लखीमपुर-खीरी हिंसा को कांग्रेस लगातार भुनाने की कोशिश में जुटी हुई है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत प्रदेश कांग्रेस के तमाम पदाधिकारी, लखीमपुर-खीरी जाकर किसानों के हक की लड़ाई में जुटे हुए हैं, ताकि इसका लाभ विधानसभा चुनाव में उठाया जा सके. लखीमपुर-खीरी कांड का उत्तराखंड के चुनाव पर कितना असर पड़ेगा: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी में हुए मामले से उपजा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां एक ओर राज्य सरकार इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच करा रही है और मृतकों के परिजनों को सहायता राशि दे रही है. वहीं, तमाम राजनीतिक दल अपनी रोटियां सेंक रहे हैं. प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते से उत्तराखंड कांग्रेस के पदाधिकारी भी लखीमपुर खीरी मामले को भुनाने की कवायद में जुटे हुए हैं. ताकि आगामी चुनाव में किसानों के वोट को हासिल किया जा सके.
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत कहते हैं कि जब भी ऐसी कोई घटना होती है तो इस घटना से जहां राज्य सरकार पर दाग लगता है तो वहीं, विपक्षी दल इसका फायदा उठाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं, क्योंकि विपक्ष को एक मुद्दा मिल जाता है. जिस मुद्दे की बदौलत वह राज्य सरकार पर सवाल खड़े करते हुए जनता को अपने पक्ष में करने की कोशिश करता है.
उत्तराखंड की राजनीति को प्रभावित कर रहा लखीमपुर खीरी केस. इसी तरह लखीमपुर-खीरी हिंसा का असर उत्तराखंड की राजनीति पर भी देखने को मिलेगा, क्योंकि उत्तर प्रदेश का ही एक हिस्सा उत्तराखंड रहा है. वहीं, राजनीति उत्तराखंड को विरासत में मिली है. लिहाजा विपक्षी दल कांग्रेस के नेता इस मुद्दे को भुनाने में जुटे हुए हैं, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में इसका लाभ उठा सकें.
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उधर, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है. उनका कहना है कि कांग्रेस हमेशा लाशों के ऊपर राजनीति करती रही है. हालांकि, लखीमपुर-खीरी में हुई घटना एक हादसा था, जिस पर संज्ञान लिया गया है. मृतकों के परिजनों को सहायता राशि और सरकारी नौकरी देने की बात कही गई है, लेकिन कांग्रेस सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिए लाशों के ऊपर राजनीतिक कर रही है, जो कि लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. लखीमपुर-खीरी में हुई घटना का उत्तराखंड में कोई असर नहीं पड़ेगा और ना ही कांग्रेस को इसका कोई लाभ होगा.
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि लखीमपुर की घटना पर कांग्रेस राजनीति नहीं कर रही है, बल्कि कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जो किसानों गरीबों के साथ हमेशा खड़ी रहती है. उनके हक की लड़ाई लड़ती है. इसी क्रम में उत्तराखंड कांग्रेस के तमाम नेता लखीमपुर खीरी गए हैं, जो मृतकों के परिजनों से मिलकर उनके साथ खड़े हैं. उनके हक की लड़ाई लड़ रहे हैं न कि भाजपा की तरह किसानों का उत्पीड़न कर है. ऐसे में कांग्रेस इस घटना का राजनीतिक लाभ नहीं उठा रही है, बल्कि पीड़ितों के हक की लड़ाई लड़ने के लिए पूरा कांग्रेस संगठन पीड़ित परिवारों के साथ खड़ा है.
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हरीश रावत समेत कई कांग्रेसियों को बरेली में रोका:कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल समेत अन्य नेताओं ने बीते रोज 'किसान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ' नारे के साथ लखीमपुर-खीरी कूच किया. लेकिन पुलिस ने उन्हें बरेली में यूपी बॉर्डर पर बहेड़ी के पास पुलिस ने रोक दिया, जिससे नाराज हरीश रावत टोल पर ही धरने पर बैठ गए.
क्या है पूरा मामला?उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे से पहले किसानों के प्रदर्शन के दौरान रविवार को लखीमपुर खीरी में में हिंसा भड़की थी. हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. हालांकि, एक पत्रकार की मौत की खबर भी है. यह घटना तिकोनिया कोतवाली क्षेत्र के तिकोनिया-बनबीरपुर मार्ग पर हुई. बताया जा रहा है कि स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) से कुछ प्रदर्शनकारियों को कथित तौर पर टक्कर मारे जाने के बाद नाराज किसानों ने दो एसयूवी में आग लगा दी. प्रदर्शनकारी किसान, मौर्य के बनबीरपुर दौरे का विरोध कर रहे थे, जो केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और खीरी से सांसद अजय कुमार मिश्रा का पैतृक गांव हैं.
प्रदर्शनकारियों को कथित रूप से कुचले जाने की घटना से नाराज लोगों ने दो वाहनों में आग लगा दी. उन्होंने कथित तौर पर कुछ लोगों की भी पिटाई की. किसानों का आरोप है कि एक वाहन में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का बेटा सवार था. हालांकि मिश्रा ने आरोप को खारिज कर दिया है. इस घटना को लेकर विपक्षी दलों समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल और भारतीय किसान यूनियन ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और घटना के लिए बीजेपी और गृह राज्य मंत्री के पुत्र को जिम्मेदार ठहराया है.