देहरादून: भारत-चीन सीमा पर इनदिनों तनाव है. बीते दिनों चीनी सैनिकों के साथ भारतीय सैनिकों की झड़प में 20 सैनिक शहीद हो गए थे. पड़ोसी मुल्क की इस हिमाकत के बाद से देशवासियों में चीन के प्रति भारी आक्रोश है. आखिरकार क्या है ये पूरा मामला और बीते सालों में चीन के साथ हमारे संबंधों में कैसे बदलाव आए हैं. जानिए इस खास रिपोर्ट में.
भारत की चीन के साथ 3488 किलोमीटर की साझा सीमा है, जो जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से लगी हुई है. उत्तराखंड से चीन की करीब 350 किलोमीटर लंबी सीमा लगी है, जो उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिलों की सीमा को छूती है.
उत्तराखंड से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ होती रही है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी पीएलए की गतिविधियां उत्तराखंड से लगी सीमा पर जारी रही हैं. बाराहोती जैसे क्षेत्र इसके उदाहरण हैं. हालांकि, भारत-चीन सीमा से लगे गांवों में रहने वाले ग्रामीण और चारवाहे सूचना तंत्र का कार्य करते हैं. क्योंकि, 2017 में डोकलाम के गतिरोध के बाद सेना ने इन गांवों में रह रहे बाशिंदों से सीमा हो रही हर छोटी-मोटी हरकत पर नजर रखने को कहा है. सेना की मदद के लिए इन गांवों से पलायन कर गए लोग भी वापस लौट आए हैं.
सीमा विवाद के कारण उत्तराखंड में बदलाव
अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तनाव के बाद राज्य में नई प्रशासनिक इकाइयों की स्थापना हुई है. चीन से सीमा विवाद के चलते सालों के हो रहे भारत-तिब्बत के व्यापारिक रिश्तों पर भी खासा असर पड़ा. यही कारण है कि सीमावर्ती गांवों के ग्रामीणों ने अपनी आजीविका के तौर तरीकों को बदल दिया. 1960 में चीन के कारण तीन सीमावर्ती जिले बनाए गए- उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़.
1960 में एक नई इकाई का गठन किया जिसका बाद में ITBP के साथ विलय हो गया. 90 के दशक में चीनी घुसपैठ के मद्देनजर उत्तराखंड की सीमा पर बसे गांवों के लोगों को खास गुरिल्ला प्रशिक्षण दिया गया. जो तब से लेकर आजतक सेना की आंख-नाक का कार्य कर रहे हैं.
प्रशासनिक परिवर्तन- तीन जिलों का जन्म
तिब्बत पर कब्ज़ा करने के बाद, चीन ने सीमा पर गतिविधियां बढ़ाईं. कुमाऊं मंडल के सुदूरवर्ती सीमा क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुये और चीन के साथ युद्ध की संभावना की पृष्ठभूमि में, गढ़वाल, टिहरी और अल्मोड़ा जिले को विभाजित किया गया. इसके बाद साल 1960 में चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ का जन्म हुआ.