देहरादून: पूरे देश में दशहरे और दीपावली की खासा धूम मची हुई है. हर कोई इन त्योहारों पर आतिशबाजी कर उत्सव मनाना चाहता है. लेकिन जलते रावण के पुतले से निकलता धुआं हो या फिर पटाखों से, यह धुआं पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा रहा है.
आतिशबाजी से पर्यावरण को हो रहा नुकसान. पर्यावरणविद पद्मश्री अनिल जोशी ने बताया कि आज से कई सालों पहले जब इन पर्वों की शुरुआत हुई थी, तब के मुकाबले आज परिस्तिथियां काफी बदल चुकी हैं. पहले चारों ओर हरियाली हुआ करती थी. लेकिन आज हरियाली कम और कंक्रीट के जंगल ज्यादा नजर आते हैं.
पढे़ं-नकली मावा फैक्ट्री मामला: सामने आई ये चौंकाने वाली जांच, आरोपियों पर कसा शिकंजा
ऐसे में दशहरे और दीपावली के मौकों पर आतिशबाजी पर्यावरण में एक दिन में वायु प्रदूषण 50 -100 पीएम तक बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि लोग इस बात को समझे कि वे किस तरह आतिशबाजी कर हर साल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
वर्तमान में देहरादून शहर की हवाओं में प्रदूषण साल दर साल तेजी से बढ़ता जा रहा है. NGT ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए एयर एक्शन प्लान तैयार करने के दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं.
बता दें कि CPCB (central pollution control Board) के एक सर्वे के अनुसार देश के 122 प्रदूषित शहरों में उत्तराखड राज्य के 3 शहरों का नाम शामिल है. जिसमें ऋषिकेश, देहरादून और काशीपुर है. प्रदेश के यह वे शहर हैं, जहां वायु प्रदूषण का स्तर पीएम 2.5 और पीएम 10 को पार कर चुका है, जो किसी बड़े खतरे की घंटी से कम नहीं है.