देहरादूनः कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो.. ये लाइनें बस यूं ही नही लिखीं गईं. अभिषेक सरीखे युवा इन्हीं पंक्तियों को सच साबित कर दिखाते हैं. मजबूरियों और कमजोरियों से नाता तोड़कर संघर्ष के रास्ते पर चलने वाले अभिषेक ने आईएमए की पासिंग आउट परेड के जरिए इस अपने सपने को पूरा किया है. सोचिए जिस युवा की स्कूल फीस उसके पिता ऑटो चलकर बमुश्किल दे पाते थे, वो आज भारतीय सेना में अफसर बन गया है.
ऑटो ड्राइवर का बेटा बना अफसर. भिलाई के खुर्सीपार के अभिषेक बने सैन्य अफसर
छत्तीसगढ़ के भिलाई के खुर्सीपार जोन-2 के रहने वाले अभिषेक कठिन परिश्रम के बाद सिपाही बने. अभिषेक के इरादे मजबूत थे, उन्हें अपनी काबिलियत पर भरोसा था. यही वजह है कि आज वे बुलंदियों को छू रहे हैं. अभिषेक सिपाही से एक अफसर तक का सफर तय कर चुके हैं. अभिषेक में बचपन से ही आर्मी में भर्ती होने का जुनून था. उनकी मां का भी सपना था कि उनका बेटा एक दिन आर्मी में भर्ती होकर अफसर बने. अभिषेक के अफसर बनाने से पहले ही उनकी मां का निधन हो गया. उसके बाद से अभिषेक के पिता ऑटो चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं और आज अपने बेटे को अफसर बनाकर दिखाया है.
12वीं के बाद से शुरू की आर्मी की तैयारी
अभिषेक सिंह के पिता उमेश सिंह ने ETV भारत से बातचीत की. अभिषेक शुरुआत से ही मेहनती थे. आर्मी में सिपाही भर्ती के दौरान एग्जाम देने के लिए दिनरात मेहनत की थी. अब सिपाही से ऑफिसर बनने पर पूरा परिवार काफी खुश और गौरवान्वित है. अभिषेक ने 12वीं के बाद से आर्मी में जाने की तैयारी शुरू कर दी थी.
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2012 में 21वीं बटालियन में ज्वॉइन किया
अभिषेक सिंह के पिता ने बताया कि उनके बेटे ने वर्ष 2012 में 21वीं बटालियन में ज्वॉइन किया. अभिषेक को लगता था कि वह भी एक दिन ऑफिसर बनेंगे. आज उसका सपना पूरा हो गया. अभिषेक का पहली बार में सेलेक्शन नहीं हो पाया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उसके बाद 2017 में कड़ी मेहनत की. इंडियन मिलिट्री एकेडमी में उनका सेलेक्शन हुआ. सेलेक्शन होने के बाद ट्रेनिंग करके वे आज ऑफिसर बन गए हैं.
मां कहती थीं मेरा बेटा बनेगा आर्मी ऑफिसर
अभिषेक की मां हमेशा कहती थीं कि मेरा बेटा एक दिन जरूर आर्मी में भर्ती होगा. एक बड़ा ऑफिसर बनेगा. आज उनकी कही बात सच हो गई, हालांकि वे बेटे को ऑफिसर बनते नहीं देख पाईं. अभिषेक 5 साल के थे, तभी उनकी मां इस दुनिया को छोड़कर चली गईं. उसके बाद से उनके पिता ने ही माता-पिता दोनों का फर्ज निभाया. अपने बेटे को ऑटो चलाकर पढ़ाई भी कराई. एक पिता के परिश्रम ने बेटे को ऊंचाईयों तक पहुंचा दिया है.
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परेशानियों के बाद भी मेहनत करते रहे अभिषेक
अभिषेक की पत्नी मनीषा सिंह ने बताया कि परेशानियों के बाद भी मेहनत करना नहीं छोड़ा. उनके पति अपनी ट्रेनिंग के दौरान हर चुनौतियों को पूरा करके आज एक सिपाही से ऑफिसर बनने जा रहे हैं. मां की निधन के बाद उनके पिता ने स्कूली शिक्षा पूरी कराई. उसके बाद से अभिषेक कुछ अलग करके देश का गौरव बढ़ाने का ठान चुके थे और जो उन्होंने ठाना था आज उसे पूरा कर दिया.
अभिषेक अब ऑफिसर बनकर पठानकोट में देंगे सेवाएं
पत्नी मनीषा सिंह ने बताया कि देहरादून में इंडियन मिलिट्री एकेडमी में ट्रेनिंग लेकर वे आज पासिंग आउट परेड में शामिल हो रहे हैं. ऑफिसर बनने के बाद वे पठानकोट में अपनी सेवाएं देंगे.
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वहीं, अभिषेक के लिए 12 दिसंबर दोहरी खुशी लेकर आया है. पहली खुशी उनकी मैरिज एनिवर्सरी के रूप में है.. तो दूसरी सबसे बड़ी खुशी उनके सेना में अधिकारी बनने की है. अभिषेक के ससुर कहते हैं कि उन्हें अनमोल रत्न मिला है, जो देश का नाम भी रोशन करेगा. सेना में अफसर बनने के बाद अभिषेक के छोटे भाई को भी अपने वही पुराने दिन याद आते हैं. जो उन्होंने बेहद गरीबी में बिताए थे.
माता के देहांत होने और पिता के काम पर चले जाने के बाद जिंदगी में अकेलेपन को दोनों भाइयों ने महसूस किया है. अभिषेक के छोटे भाई कहते हैं कि उनके बड़े भाई एक ऐसे इंसान हैं, जो जिस संकल्प के साथ चलते हैं, उसे जरूर पूरा करते हैं. बड़े भाई अभिषेक ने अपनी पढ़ाई के दौरान दिन-रात नहीं देखा. जब कक्षा 6 में थे तभी से वह हर दिन 5 किलोमीटर साइकिल चलाकर स्कूल जाते थे और आज वह अपने भाई को अधिकारी के रूप में देखकर बेहद खुश हैं.