देहरादून: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के चिकित्सकों ने देहरादून के जिलाधिकारी और सीएमओ पर दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया है. इसके साथ ही आईएमए के डॉक्टरों ने राज्य सरकार को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि राज्य सरकार निजी चिकित्सकों के साथ बुरा बर्ताव करती है. जबकि, सरकारी डॉक्टरों की समस्याओं का जल्द समाधान कर देती है.
बल्लूपुर रोड स्थित आईएमए सभागार में मीडिया से बातचीत में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रांतीय सचिव डॉ डीडी चौधरी ने राज्य सरकार पर डॉक्टरों की अनदेखी किए जाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार तो दूर की बात है. देहरादून के जिलाधिकारी और सीएमओ एसोसिएशन के डॉक्टरों के साथ बहुत बुरा व्यवहार करते हैं. अधिकारी प्राइवेट चिकित्सकों की बात सुनने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि देहरादून के नए सीएमओ ने एंटीजन टेस्ट के पांच लैब बंद करवा दिए हैं, जिससे खासा नुकसान हुआ है.
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उन्होंने देहरादून की आहूजा पैथोलॉजी लैब पर मुकदमा दर्ज किए जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन किए जाने को लेकर आहूजा पैथोलॉजी लैब पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया, यदि लैब के बाहर टेस्ट कराने वालों की भीड़ एकत्रित हो जाती है तो उसको कंट्रोल करने की जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन की होती है. उन्होंने कहा कि आहूजा पैथोलॉजी लैब पर एकमात्र प्राइवेट लैब है, जो आरटीपीसीआर टेस्ट कर रही है.
आईएमए के चिकित्सकों ने राज्य सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि सरकार कह रही है कि प्राइवेट लैब से कोरोना संक्रमित मरीजों की पुष्टि ज्यादा हो रही है. उन्होंने इसकी वजह बताते हुए कहा कि जांच के लिए सैंपल लिए जाने के अगले दिन निजी लैब जांच रिपोर्ट दे देती है. जबकि सरकारी लैब से टेस्ट कराने में 5 दिन लग जाता है.
उन्होंने कहा निजी लैब पूरी विश्वसनीयता के साथ टेस्टिंग कर रही है. टेस्टिंग की रफ्तार बढ़ने से कोरोना के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है. आईएमए के चिकित्सकों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार का यदि निजी चिकित्सकों के प्रति इसी प्रकार का रवैया रहा तो इस कोरोना काल में वे निजी पैथोलॉजी लैबों को बंद करने से भी पीछे नहीं हटेंगे.