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मसूरी के जंगलों में भू-माफिया का कब्जा, लाइब्रेरी मार्ग के जंगलों में हुआ अवैध कटान

मसूरी के हरे-भरे जंगलों को तबाह करने में लगे भू-माफिया. 10 सालों में मसूरी के 30 प्रतिशत जंगल हुए खाली.

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Published : Apr 25, 2019, 10:44 AM IST

मसूरी के जंगलों का अवैध कटान

मसूरी: भू-माफिया इन दिनों मसूरी के हरे-भरे पेड़ों को जेसीबी से धड़ल्ले से उखाड़ रहे हैं. दरअसल, मसूरी लाइब्रेरी मार्ग पर हुसैनगंज के सामने क्लिप कॉटेज के जंगल में शाल और बांस के पेड़ों को भू-माफिया द्वारा काटकर जंगलों के बीचों-बीच सड़क बनाई जा रही है. ग्रामीणों और समाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि शिकायत होने के बाद भी न तो वन विभाग और न ही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के अधिकारी कोई कार्रवाई कर रहे हैं. आरोप है कि वन विभाग के अधिकारी की मिलीभगत की वजह से ये सब हो रहा है.

लाइब्रेरी मार्ग के जंगलों में हुआ अवैध कटान.

मसूरी के सामाजिक कार्यकर्ता ललित मोहन काला स्थानीय निवासी राजेश रावत और सुनीता ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग लाइब्रेरी रोड हुसैनगंज के पास सड़क से लगते हुए जंगल को भूमाफिया पिछले 2 महीने से लगातार काट रहे हैं. उन्होंने बताया कि वन विभाग मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण और स्थानीय प्रशासन से मौखिक और लिखित शिकायत की गई है लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

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इस मामले में मसूरी डीएफओ कहकशा नसीम ने कहा कि मसूरी के जंगलों ओर हरी भरी पहाडियों को संरक्षित करने की जिम्मेदारी विभाग की है. ऐसे में समय-समय पर पेड़ों के अवैध रूप से कटान और पहाड़ों की खदान की सूचना मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाती है. कुछ लोग मसूरी लाइब्रेरी मार्ग पर क्लिक कॉटेज के पास पेड़ों को नुकसान पहुंचा रहे थे, लेकिन अवैध कटान को वन विभाग की टीम द्वारा रुकवा कर चालान काट दिया गया है. उन्होंने बताया कि वनों को बचाने के लिए मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के साथ स्थानीय प्रशासन को भी ठोस कार्रवाई करनी होगी.

बता दें कि मसूरी अपने हरे-भरे जंगल और वातावरण के लिए एक अलग पहचान रखती है. लेकिन, अधिकारियों की लापरवाही या यूं कहें भ्रष्टाचारियों का साथ देने की वजह से पिछले 10 सालों में मसूरी के 30 प्रतिशत जंगल का हिस्सा खाली हो चुका है. जंगलों ओर पहाड़ियों को काटकर कंक्रीट के जंगल में तब्दील किया जा रहा है. दुर्भाग्यवश न तो संबंधित विभाग और न ही सरकार इस ओर ध्यान दे रही है. ऐसे में वो दिन दूर नहीं जब मसूरी में हरे भरे जंगल ही न बचें.

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