देहरादून:कॉर्बेट नेशनल पार्क में हो रहे कथित अवैध कार्यों पर भले ही जांच के आदेश हो गए हों लेकिन सवाल यह है कि वन विभाग जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई कब होगी ? वह भी तब जब एनटीसीए (National Tiger Conservation Authority) ने खुद स्थलीय निरीक्षण के बाद तमाम कामों की रिपोर्ट बनाकर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की संस्तुति कर चुका हो. उधर, कॉर्बेट प्रशासन ने कालागढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में उन भवनों को ध्वस्त कर दिया, जिनको अवैध रूप से बनाए जाने का आरोप था.
उत्तराखंड के संरक्षित क्षेत्रों में वन विभाग के अधिकारियों की बड़ी फौज कथित अवैध कामों को क्यों संरक्षण दे रही है. यह बड़ा सवाल है ? यह सवाल एनटीसीए कि वह रिपोर्ट खड़े करती है, जिसमें वनों के कथित अवैध कटान से लेकर संरक्षित क्षेत्र में गलत तरीके से भवन बनाए जाने की बात कही गई है. सवाल यह है कि कॉर्बेट नेशनल के डायरेक्टर राहुल इतने कथित अवैध कार्यों को लेकर क्यों मौन रहे ? अगर यह काम सही हैं, तो इनको ध्वस्त क्यों किया गया. अगर यह गलत तरीके से बिना परमिशन के बनाए गए, तो फिर निदेशक महोदय इनको बनाए जाने के दौरान कहां थे ?
पार्क के निदेशक ही नहीं बल्कि दूसरे जिम्मेदार अधिकारी भी इस पूरे मामले को लेकर सवालों के घेरे में है. हालांकि एनटीसीए ने जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दे दिए हैं, लेकिन इतनी बड़ी गलती के लिए क्या छोटे कर्मचारियों पर ही कार्रवाई की जानी सही होगी ? निदेशक और वन मुख्यालय में बैठे वाइल्ड लाइफ से जुड़े अधिकारियों को भी इस मामले में चारों दोषी माना जाए.
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