देहरादून: चमोली में आई भीषण आपदा के सभी पहलुओं पर शोध करने के लिए एक टीम गठित की गई है. इस समिति की पहली टीम आज वायु सेना की मदद से नंदा देवी की पहाड़ियों पर पहुंची. इस टीम ने नंदा देवी पर्वत के कई फोटोग्राफ लिये. यहां पहुंची वैज्ञानिकों की टीम ने आपदा के असली कारणों को करीब से देखा.
गुरुवार को उत्तराखंड सरकार द्वारा उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के तहत नौ अलग-अलग शोध संस्थाओं को चमोली में आई भीषण आपदा पर शोध के लिए अधिकृत करते हुए विस्तृत रिपोर्ट के लिए समिति का गठन किया गया. इसकी पहली टीम इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग नंदा देवी की पहाड़ियों पर हवाई मार्ग से पहुंची. इस टीम में आईआईआरएस के निदेशक प्रकाश चौहान भी मौजूद थे. इसके अलावा एसडीआरएफ, डीआरडीओ और इसरो के कुल 12 लोगों की टीम आज घटनास्थल के मुहाने पर निरीक्षण के लिए रवाना हुई.
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घटनास्थल पर हवाई मार्ग से पहुंचे आईआईआरएस के निदेशक प्रकाश चौहान ने अपने ऑफिशियल फेसबुक अकाउंट पर घटना के फोटोग्राफ को पोस्ट किया है. उन्होंने लिखा कि चमोली में आई भीषण आपदा को लेकर इसरो द्वारा जारी की गई सैटेलाइट इमेज पुख्ता हो गई है. जिसमें लैंडस्लाइड को साफ तौर से देखा जा सकता है. जो कि आपदा के लिए जिम्मेदार है.
प्रकाश चौहान का फेसबुक पोस्ट साथ ही आईआईआरएस के निदेशक ने भारतीय वायुसेना और उत्तराखंड आपदा प्रबंधन का भी आभार व्यक्त किया. तस्वीरों में झील भी साफ तौर से नजर आ रही है, तो वहीं झील से पानी भी निकल रहा है.
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इसके अलावा उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष रौतेला ने बताया कि अलग-अलग शोध संस्थानों द्वारा अपने अपने स्तर पर शोध किया जा रहा है. इसमें भविष्य के जोखिमों पर शोध किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि चमोली रैणी गांव के समीप आई इस आपदा को लेकर 10 से 15 दिनों में सभी शोध संस्थानों द्वारा एक निष्कर्ष निकाल लिया जाएगा. जिसके बाद एक संयुक्त रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी.