देहरादून: चमोली में आई भीषण आपदा के दंश आज भी तपोवन में मौजूद हैं. इस आपदा में NTPC के पावर प्लांट जमींदोज हो गया था. इसमें बड़ी संख्या में जनहानि हुई थी. इस आपदा के बाद से ही इसके पीछे के कारणों पर रिसर्च की गई. देश की सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं ने इस आपदा को लेकर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस पूरे मामले में ईटीवी भारत ने आईआईआरएस के निदेशक प्रकाश चौहान से खास बातचीत की. जिसमें हमने इस घटना के पीछे के कारणों से साथ ही इसे लेकर इसरो द्वारा चलाए जा रहे प्रोजेक्ट के बारे में बात की.
सकते में थीं सभी रिसर्च एजेंसियां:7 फरवरी को उत्तराखंड के चमोली जोशीमठ में रैणी गांव के पास से आई भीषण त्रासदी के बाद घटे तमाम घटनाक्रम को इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो के उपक्रम इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग के निदेशक प्रकाश चौहान ने साझा किया. उन्होंने बताया यह सचमुच में एक चौंकाने वाला हादसा था. जिसने सभी को सरप्राइज किया. उन्होंने कहा इस तरह की घटनाओं की उम्मीद अक्सर मानसून या फिर खराब मौसम में की जाती है. लेकिन 7 फरवरी 2021 कि सुबह बिल्कुल साफ मौसम और चटक धूप थी. इसके बावजूद आई आपदा ने कई रिसर्च एजेंसियों को सकते में डाल दिया.
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सबसे पहले जारी किया गया इंटरनेशनल चार्टर:इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के निदेशक प्रकाश चौहान ने बताया जैसे ही 7 फरवरी की सुबह तकरीबन 10:30 बजे यह हादसा रिपोर्ट किया गया, वैसे ही इसरो ने सबसे पहले इस घटना को लेकर इंटरनेशनल चार्टर जारी किया.
क्या होता है इंटरनेशनल चार्टर:रिमोट सेंसिंग इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रकाश चौहान ने बताया कि इंटरनेशनल चार्टर एक विशेष प्रकार की स्पेस संधि है, जिसके अनुसार विश्व में कहीं भी जब कोई दुर्घटना या फिर आपदा आती है तो उस क्षेत्र के ऊपर से गुजरने वाले सैटेलाइट को उस देश की अथॉरिटी से डाटा शेयर करने की अनिवार्यता होती है.
उन्होंने बताया जिस समय नंदा देवी की पहाड़ियों पर यह घटना घटी उस समय एक अमेरिकी सैटेलाइट प्लेनेट लाइव घटनास्थल के ऊपर से गुजर रहा था. हादसे के तुरंत बाद जैसे ही इंटरनेशनल चार्टर लागू हुआ तो यह सूचना मिल गई कि प्लेनेट लैब के पास इस हादसे की तस्वीरें मौजूद हैं. जिसके बाद तुरंत इन तस्वीरों का संकलन कर हादसे के कारणों का पता लगाया गया.
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सामने आईं कईं भ्रामक थ्योरी:आईआईआरएस के निदेशक प्रकाश चौहान ने बताया जैसे-जैसे चमोली हादसे की खबर आग की तरह फैल रही थी. वैसे-वैसे इस हादसे को लेकर अलग-अलग थ्योरियां भी सामने आने लगीं थीं. कोई इसे न्यूक्लियर विस्फोट बता रहा था तो कोई इसे ग्लेशियर झील की वजह से आई आपदा करार दे रहा था. मगर इसरो द्वारा जारी किए गए इंटरनेशनल चार्टर के बाद इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग को मिली तस्वीरों ने इन सभी भ्रामक थ्योरियों पर विराम लगा दिया था.
वास्तविकता में हादसे के शुरुआती बिंदु पर क्या हुआ था, यह पूरी दुनिया के सामने लाया गया. वहीं दूसरी तरफ आईआईआरएस द्वारा तस्वीरों के साथ साथ तमाम तरह के डाटा को आपदा प्रबंधन के साथ साझा किया गया. जिसके बाद राहत और बचाव कार्यों को लेकर आपदा प्रबंधन को मदद मिली.