देहरादून:प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (IIP) ने एक ऐसी नई तकनीक की खोज की है जिसके जरिए अब रसोई से डीजल निकलेगा. जी हां, आपकी रसोई में इस्तेमाल किए जाने वाले कुकिंग ऑयल से डीजल बनाने की तकनीक आईआईपी देहरादून में इजाद की है. आइए आपको बताते हैं कि कैसे आपकी रसोई में पूड़ियां पकाने के बाद बचे हुआ तेल डीजल में बदल जाएगा. साथ ही जानते हैं कि व्यवसायिक रूप में आखिर यह कितना कारगर साबित होगा.
बायोडीजल को लेकर पिछले 8 सालों से शोधरत भारतीय पेट्रोलियम संस्थान ने अब रसोई में इस्तेमाल होने वाले कुकिंग ऑयल से डीजल बनाने की शुरुआत कर दी है. शोध टीम में शामिल प्रिंसिपल साइंटिस्ट नीरज ने इस विधि के बारे में एक स्कूली जानकारी दी. बता दें, इस शोध को लेकर 2015 में आईआईपी ने पेटेंट फाइल किया था जो कि 2018 में ग्रांट हुआ और अब इस पर काम शुरू हो चुका है.
ऐसे बनता है कुकिंग तेल से डीजल
शोध टीम के प्रिंसिपल साइंटिस्ट नीरज ने इस बायोडीजल सेटअप के बारे में समझाया कि डीजल बनाने में खाना बनाने वाले तेल का इस्तेमाल किया गया है. प्रयोगशाला में बने हुए मॉडल के जरिए वैज्ञानिक नीरज ने बताया कि उनके ही संस्थान की मेस से वेस्ट कुकिंग ऑयल को एकत्रित किया गया है और फिर इस वेस्ट को अलग करके एक कंटेनर में भेजा जाता है.
मॉडल में भी दर्शाया गया है. कुकिंग ऑयल को अलग करने के बाद इसमें मेथेनॉल साल्वेंट के साथ कैटालिस्ट जो कि सोडा (Na2CO3-सोडियम कार्बोनेट) के नाम से जाना जाता है, इन दोनों के मिश्रण को पृथक किए गए कुकिंग ऑयल के साथ मिला दिया जाता है. जिसके बाद कुकिंग ऑयल और मेथेनॉल-कैटालिस्ट का मिश्रण परत नुमा अवस्था में आ जाता है. नीचे तेल और ऊपर मेथेनॉल का मिश्रण प्राप्त होता है. इसके बाद पूरे मिश्रण को 3 से 4 घंटे तक 65 डिग्री सेल्सियस पर गर्म किया जाता है और फिर आईआईपी द्वारा तैयार किए गए पेटेंट को इसमें मैनुअली एक मिनट से भी कम समय तक मिलाया जाता है.