देहरादून: उत्तराखंड में कोयला, पेट्रोलियम और खनिज आदि की कमी होने के बावजूद जल के अपार भंडार हैं. ऐसे में प्रदेश के भीतर जल विद्युत की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं. दरअसल, नवीकरणीय ऊर्जा के सेक्टर में हाइड्रो पावर और सोलर पावर सेक्टर में बहुत सारे अवसर मौजूद हैं. राज्य के भीतर ऊर्जा सामर्थ्य करीब 20,000 मेगावाट है, जबकि इसमें से सिर्फ 4000 मेगावाट ही इस्तेमाल हुआ है. प्रदेश के भीतर करीब 16,000 मेगावाट हाइड्रोपावर पोटेंशियल की कैपेसिटी अभी भी मौजूद है.
उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के एमडी संदीप सिंघल के मुताबिक ऊर्जा के क्षेत्र में अभी भी बहुत सारे इन्वेस्टमेंट की संभावनाएं मौजूद हैं, जो कंपनी इन क्षेत्रों में इन्वेस्ट करना चाहती हैं, उनके लिए यहां हाइड्रो पावर और सोलर पावर के क्षेत्र में सुनहरे अवसर हैं.
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