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अनलॉक में भी होटल और ट्रैवेल्स व्यवसाय 'लॉक', व्यापारियों की बढ़ी चिंता

कोरोना के कारण उत्तराखंड के लोगों की आमदनी का मुख्य जरिया पर्यटन, होटल और ट्रैवल व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है. अनलॉक-5 में भी हालात सुधरते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं. ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट के जरिए जानिए होटल और टैक्सी संचालकों की ताजा स्थिति.

Unlock-5 in uttarakhand
उत्तराखंड का होटल और ट्रैवेल्स व्यवसाय

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Published : Oct 5, 2020, 10:23 PM IST

देहरादून: केंद्र सरकार की तर्ज पर उत्तराखंड सरकार ने भी अनलॉक-5 की गाइडलाइन जारी कर दी है. राज्य में कंटेनमेंट जोन के बाहर के लोगों को 15 अक्तूबर से अधिकतर रियायतें मिलेंगी. उत्तराखंड में होटल और होम स्टे में न्यूनतम अवधि के निवास का कोई प्रतिबंध नहीं होगा. होटल और होम स्टे में चेक इन से पहले कोरोना टेस्ट रिपोर्ट की जरूरत नहीं होगी.

कोरोना के चलते कारोबार और पर्यटन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. उत्तराखंड में सरकार से लेकर आम लोगों की कमाई का मुख्य जरिया पर्यटन है, जिस पर कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर हुआ है. लॉकडाउन के चलते पर्यटन उद्योग को 800 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है.

उत्तराखंड पर्यटन नगरी के नाम से जानी जाती है और यहां पर लोगों का पर्यटन से ही मुख्यत: रोजगार चलता है. आमतौर पर मार्च और अप्रैल में पहाड़ों में पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचते थे. होटलों, रेस्टोरेंट में जगह मिलना मुश्किल होता है. लेकिन लॉकडाउन के चलते न केवल यहां का होटल व्यवसाय ठप पड़ गया है, बल्कि छोटे और मझले व्यापारी भी संकट में आ गए हैं. माना जा रहा है कि इस वर्ष उत्तराखंड में पर्यटन उद्योग का पूरी तरह पटरी में लौटना मुश्किल है. कोरोना का असर सूबे के व्यवसायों पर देखा जा रहा है. सबसे बड़ा असर होटल, रेस्टोरेंट, ट्रैवेल्स एजेंसी और टूरिज्म व्यवसाय पर पड़ा है.

अनलॉक-5 में होटल और टैक्सी संचालकों की हालात.

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राजधानी में टैक्सी चालकों का दर्द

देहरादून मसूरी बस अड्डे पर स्थित टैक्सी यूनियन के बूथ में लगा टैक्सियों के नंबरों का बोर्ड ज्यादा हैरान करने वाला है. दरअसल टैक्सी चालक बताते हैं कि बोर्ड में लगे टैक्सियों के ऐसे कई नंबर है. जिनको सफेद चिट से मिटा दिया गया है. ये टैक्सियां पहले बस अड्डे के सामने चला करती थीं. लेकिन, अब लॉकडाउन में संचालकों की परेशानियों के चलते इन्हें टैक्सी बेचना पड़ा.

देहरादून में होटल-रेस्टोरेंट संचालकों की पीड़ा

कोरोना की दोहरी मार होटल मालिकों पर पड़ रही है. एक तरफ सरकार ने किसी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकालने का निर्देश दिया. वहीं, दूसरी तरफ कर्मचारियों को सैलरी भी देते रहने को कहा है. अब होटल और रेस्टोंरेंट मालिकों को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है. आलीशान होटलों और रेस्टोरेंट के सन्नाटे के पीछे आर्थिक तंगी की चीत्कार शामिल है.

देहरादून के त्यागी रोड़ पर पिछले 15 से ज्यादा सालों से होटल और रेस्टोरेंट चला रहे मोहित त्रिपाठी का कहना है कि तनख्वाह और बिजली-पानी का खर्चा ही देना लॉकडाउन के दौरान देना मुश्किल हो रहा था. अब भी हालात जस की तस बनीं हुई है. लेकिन एक उम्मीद है कि शायद आगे कुछ अच्छा होगा.

देहरादून के होटल संचालों की परेशानी यह भी है कि अधिकतर पर्यटक या तो मसूरी चले जाते हैं या आस पास के पर्यटक स्थलों पर. ऐसे में राजधानी के होटल शादी, छोटी पार्टियों और वर्कशॉप पर ही निर्भर रहते हैं. कॉर्पोरेट गतिविधियां तेज रफ्तार से नहीं तल रहीं हैं. लोग शादियां होटल में करने से कतरा रहे हैं. ऐसे में अनलॉक-5 के दौरान भी होटल व्यवसाय मंदा है.

कुल मिलाकर कोरोना और लॉकडाउन ने पूरे प्रदेश के कारोबारियों की कमर तोड़ कर रख दी है, जिसका सीधा असर लोगों की आजीविका के साथ ही राज्य की आर्थिक स्थिति पर पड़ा है. अनलॉक-5 के दौरान जो हालात दिखाई दे रहे हैं. उसके आने वाले दिनों में नुकसान और बढ़ने के आसार हैं. क्योंकि लॉकडाउन के कारण उत्तराखंड के लोगों की आमदनी का मुख्य जरिया पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. सूबे की आबादी का एक बड़ा हिस्सा पर्यटन और होटल व्यवसाय से ही जुड़ा है.

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