ऋषिकेश: श्राद्ध खत्म होने के बाद आज मां सुरकंडा देवी की डोली को त्रिवेणी घाट लाया गया. जहां गाजे-बाजे के साथ मां की डोली को स्नान कराया गया. इस दौरान काफी संख्या में श्रद्धालु भी त्रिवेणी घाट पहुंचे, जिन्होंने इस मौके पर मां की डोली के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया.
बता दें कि मां सुरकंडा देवी का गढ़वाल क्षेत्र में काफी महत्व है. खासकर टिहरी जिले में श्रद्धालु लगातार मां सुरकंडा के दर्शन और आशीर्वाद के लिए जाते रहते हैं. ढालवाला मंदिर से आज सुरकंडा देवी की डोली त्रिवेणी घाट पर पहुंची. जहां मां की डोली को स्नान करवाया गया. इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी यहां मौजूद रहे.
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श्राद्ध खत्म होने के बाद मां सुरकंडा देवी को गंगा स्नान और शुद्धि के लिए गंगा में स्नान करवाया जाता है. जिसके लिए मां की डोली को त्रिवेणी घाट लाया गया.
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सुरकंडा देवी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां एक बार आने से सातजन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है. सिद्धपीठ मां सुरकंडा देवी का मंदिर टिहरी के जौनुपर पट्टी में सुरकुट पर्वत पर स्थित है. पौराणिक मान्यता के अनुसार जब राजा दक्ष ने कनखल में यज्ञ का आयोजन किया तो उसमें भगवान शिव को नहीं बुलाया, शिवजी के मना करने पर भी सती यज्ञ में गई.
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जहां राजा दक्ष द्वारा सती और भगवान शिव का अपमान किया गया. जिसके बाद माता सती यज्ञ कुंड में कूद गईं. इसके बाद भगवान शिव रौद्र रूप में आ गए. गुस्साए शिव सती का शव त्रिशूल में टांगकर आकाश में भ्रमण करने लगे. इस दौरान सती का सिर सुरकुट पर्वत पर गिरा. तभी से ये स्थान सुरकंडा देवी सिद्धपीठ के नाम से जाना जाता है.