आपदा घाटालों की जानकारी देते वरिष्ठ पत्रकार सुनील दत्त पांडे. देहरादूनःउत्तराखंड में हर साल आपदा गहरा जख्म दे जाता है. गढ़वाल और कुमाऊं का शायद ही कोई जिला बचा हो, जिसने आपदा का दर्द न झेला हो. उत्तर प्रदेश का समय हो या फिर उत्तराखंड बनने के बाद, इस राज्य को कई जख्म मिले हैं. उत्तरकाशी आपदा हो या केदारनाथ की त्रासदी या फिर पिथौरागढ़ और चंपावत जैसे जिलों में बारिश का कहर. आपदा हर बार लोगों को अपने घर बाहर कर देता है. साथ ही कई जिंदगियों को मलबे में दबा जाता है, लेकिन यह आपदाएं उत्तराखंड में कई लोगों के लिए अवसर भी बन जाती हैं.
उत्तराखंड के इतिहास के पन्नों को अगर पलटे तो ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जिसमें आपदा के पैसों की बंदरबांट हुई और पीड़ितों का हक मारा गया. एक बार फिर से उत्तराखंड आपदा की मार झेल रहा है. चमोली के जोशीमठ में जिस तरह से घरों को खाली कर लोग दूसरी जगह रात बिताने के लिए मजबूर हैं. ऐसे में एक बार फिर से डर इसी बात का है कि राहत का पैसा क्या सही तरीके से पीड़ितों तक पहुंच पाएगा या नहीं?
केदारनाथ आपदा ने लिखी घोटाले की इबारतःउत्तराखंड में जब-जब आपदा आई, उसके बाद घोटाले भी जमकर हुए. कभी सूचना के अधिकार से तो कभी ऑडिट के बाद ये सभी बातें सामने आती रही हैं. साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा हर किसी के जहन में है. उस वक्त हालात को संभालने में सरकार नाकामयाब रही. उस दौरान विजय बहुगुणा को पार्टी ने हटा कर सत्ता की चाबी हरीश रावत को दी थी, लेकिन इस आपदा में भी घोटाले हुए.
आपदा के दौरान बंदरबांट ऐसी हुई कि स्कूटर से सीमेंट के कट्टे केदारनाथ पहुंचा दिए और बिल ट्रक का लगा दिया गया. इतना ही नहीं इस आपदा के दौरान आरटीआई से खुलासे हुए थे कि कैसे केदारनाथ आपदा के दौरान जब लाखों लोग भूख-प्यास से मर रहे थे, तब अधिकारी राहत और सहायता के नाम पर प्रतिदिन का अपना भत्ता 7000 रुपए ले रहे थे.
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इतना ही नहीं केदारनाथ आपदा के बाद कैग की रिपोर्ट सामने आई थी. जिसमें इस बात का खुलासा हुआ था कि केदारनाथ आपदा के दौरान दिसंबर 2013 में आठ मामलों में प्रति मकान के नुकसान पर 35 हजार रुपए दिए गए थे. जबकि, प्रावधान 70 हजार रुपए प्रति पूर्ण क्षतिग्रस्त भवन का था, लेकिन यहां भी प्रभावितों को 2.80 लाख रुपए कम दिए गए.
वहीं, मुनस्यारी में 51.5 लाख रुपए की जगह 20.55 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति ही दी गई. जबकि, पिथौरागढ़ और टिहरी में कुल राहत में से 2.04 करोड़ रुपए कम बांटे गए थे. इतना ही नहीं साल 2013 की आपदा के बाद उत्तराखंड के हर जिले में घोटाले की रिपोर्ट सामने आई. दो साल बाद जब रिपोर्ट सामने आई तो मालूम हुआ कि बागेश्वर जैसे जिले में 194 रुपए का आधा किलो दूध खरीदा गया. यह दूध आपदा पीड़ितों के लिए खरीदा गया था.
इतना ही नहीं जोशीमठ में सरकारी गेस्ट हाउस में पीड़ितों को 15 दिन रखने के लिए चार लाख का बिल लगाया गया था. इसके साथ ही चमोली में भी उस वक्त आपदा के दौरान ऑटो में 30 रुपए लीटर तेल भरवाने का बिल लगा दिया गया था. जबकि, ऑटो पहाड़ पर चलता ही नहीं. इस तरह के कई मामले उत्तराखंड में सामने आ चुके हैं.
उत्तराखंड में हर साल बारिश के दौरान गिरने वाले पुल, बहने वाली सड़कों को लेकर भी कई अनियमितताएं और पैसों की बंदरबांट सामने आ चुकी है. केदारनाथ आपदा के दौरान 70 करोड़ रुपए से भी ज्यादा के घोटाले की बात सामने आई थी. जिसके बाद कई जांच हुई, कई अध्ययन हुए, लेकिन नतीजा फिर भी सिफर रहा.
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उत्तरकाशी में भी हुआ घोटालाःकेदारनाथ आपदा के बाद भी उत्तरकाशी में भी आपदा किट घोटाला सामने आया था. यहां 500 ग्राम पंचायतों को बचाव और राहत के उपकरण की एक किट दी जानी दी, उस वक्त ये बात सामने आई थी कि हर प्रधान से रुद्रपुर की एक फर्म को 20 हजार 200 रुपए का भुगतान किया गया, लेकिन आपदा किट की असल कीमत काफी कम है. जबकि इस किट की कीमत ही मात्र 8 हजार रुपए थी.
मामले कई दिनों बाद सामने आया और इस मामले की जांच की गई तो डीएम ने भी इस बात को सही पाया. जिसके बाद आनन-फानन में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी. यह मामला 2017 जून महीने का था. जिसमें सभी ग्राम पंचायतों को 14वें वित्त में मुहैया कराए गए बजट से आपदा के दौरान खोज और बचाव के लिए आवश्यक संसाधन खरीदने के आदेश जारी हुए थे. उत्तरकाशी का ये घोटाला भी करोड़ों रुपए का हुआ था.
जोशीमठ में रखना होगा राहत के पैसे का ध्यानःएक फिर से उत्तराखंड के जोशीमठ में आपदा आई है. राज्य सरकार अपनी तरफ से करोड़ों रुपया जोशीमठ पीड़ितों के लिए जारी कर रही है. चाहे वो राहत और बचाव कार्य हो या फिर पीड़ितों को सुरक्षित दूसरे स्थान पर पहुंचाना.
इतना ही नहीं जोशीमठ आपदा के लिए राज्य सरकार एक पूरा ब्लूप्रिंट तैयार कर रही है, ताकि केंद्र सरकार के आगे उसको रखा जा सके और जोशीमठ के लिए एक राहत पैकेज मांगा जा सके. उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्र सरकार जोशीमठ की त्रासदी को देखते हुए पुष्कर सिंह धामी सरकार को राहत पैकेज जारी कर सकती है.
ऐसे में सवाल यही खड़े हो रहे हैं कि केंद्र और राज्य सरकार जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा जो जोशीमठ में देगी, वो जोशीमठ पीड़ितों तक सही तरीके से पहुंचे. पूर्व की भांति इस आपदा में किसी तरह का कोई घोटाला न हो. इस बात को भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सुनिश्चित करना होगा और ध्यान देना होगा कि ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों पर जिनके ऊपर पीड़ितों तक राहत पहुंचाने की जिम्मेदारी होगी.
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