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ऐतिहासिक खलंगा मेले का आगाज, सेनानायक कुंवर बलभद्र दी श्रद्धांजलि, साइकिल रैली का हुआ आयोजन

47वें ऐतिहासिक खलंगा मेले के प्रथम दिन का शुभारंभ स्वच्छ जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वच्छता का संदेश देने के लिए खलंगा बहादुरी साइकिल रैली का आयोजन किया गया. यह रैली युद्ध स्मारक सहस्त्रधारा रोड से प्रारंभ होकर खलंगा युद्ध कीर्ति स्तंभ नालापानी में समाप्त हुई.

Historical khalanga fair
ऐतिहासिक खलंगा मेला

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Published : Nov 27, 2021, 7:13 PM IST

Updated : Nov 27, 2021, 7:43 PM IST

देहरादून: बलभद्र खलंगा विकास समिति की ओर से 47वें ऐतिहासिक खलंगा मेले के प्रथम दिन का शुभारंभ स्वच्छ जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वच्छता का संदेश देने के लिए खलंगा बहादुरी साइकिल रैली का आयोजन किया गया. यह रैली युद्ध स्मारक सहस्त्रधारा रोड से प्रारंभ होकर खलंगा युद्ध कीर्ति स्तंभ नालापानी में समाप्त हुई.

47वें ऐतिहासिक खलंगा मेले का आगाज.

वहीं, इससे पहले विकास समिति के अध्यक्ष दीपक वोहरा और गोरखाली सुधार सभा के अध्यक्ष मदन थापा ने वीर सेनानायक कुंवर बलभद्र के स्मारक पर पुष्प अर्पित करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी और उसके बाद हरी झंडी दिखाकर खलंगा ब्रेवरी बाइकाथॉन (khalanga Brevery Bikeathon) रैली को रवाना किया.

युवाओं ने बढ़चढ़कर साइकिल रैली में लिया हिस्सा.

मेले के पहले दिन विकास समिति की ओर से आयोजित ऐतिहासिक खलंगा मेले के पूर्व दिवस में चंद्र यानी मंदिर नालापानी रोड देहरादून में यज्ञ और पूजन व विशाल भंडारे का आयोजन किया गया. इस मौके पर समिति के अध्यक्ष दीपक वोहरा ने कहा कि नालापानी पर्वतीय श्रृंखला के सबसे ऊंचे शिखर जिस पर कभी सेनानायक वीर बलभद्र थापा और उनके वीर सैनिकों का सुदृढ़ खलंगा किला आज भी गर्व से मस्तक उठाए खड़ा है.

खलंगा ब्रेवरी बाइकाथॉन से हुई मेले की शुरुवात.

उन्होंने कहा कि साल 1814 में गोरखाली तथा उत्तर भारत के गढ़वाली और कुमाऊंनी और स्थानीय लोग लगभग 600 वीर वीरांगनाओं योद्धाओं ने सेनापति बलभद्र थापा के नेतृत्व में अदम्य साहस का परिचय देते हुए तीन बार अंग्रेजों के आक्रमण को पूरी तरह से विफल कर दिया था और इस युद्ध में सेनानायक बलभद्र थापा ने केवल 600 सैनिकों के बूते अपने प्राचीन हथियारों से लोहे के चने चबवा दिए थे.

वीर सेनानायक कुंवर बलभद्र की दी श्रद्धांजलि.

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वहीं, समिति की मुख्य सचिव प्रभा शाह का कहना है कि वीर सेनानायक बलभद्र थापा और उनके वीर सैनिक इसी चंद्र यानी मंदिर में प्रतिदिन पूजा अर्चना किया करते थे. यह मंदिर खुले प्रांगण में स्थित है और यह भी मान्यता है कि इस मंदिर पर किसी भी छत जैसा निर्माण किए जाने पर छत नहीं रहती है. रविवार को खलंगा मेले के दूसरे दिन समिति की ओर से मेले को भव्य रूप दिया गया है.

Last Updated : Nov 27, 2021, 7:43 PM IST

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