देहरादूनःउत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 सिर पर हैं, लेकिन बीजेपी के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दरअसल, मामला शक्तिमान घोड़े की मौत से जुड़ा हुआ है. भले ही मंत्री गणेश जोशी मामले में बरी हो चुके हों, लेकिन सीजेएम कोर्ट से बरी होने के आदेश को नैनीताल हाईकोर्ट में चुनाव से ठीक पहले चुनौती मिली है. मामले में याचिकाकर्ता को केस की पत्रावली नहीं देने पर सरकार से जवाब तलब किया गया है.
उत्तराखंड पुलिस के शक्तिमान घोड़े की मौत के मामले में कैबिनेट मंत्री और मसूरी विधायक गणेश जोशी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. दरअसल, बहुचर्चित शक्तिमान घोड़े की मौत मामले में बीती रोज यानी 6 जनवरी को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने मामले में सीजेएम कोर्ट देहरादून से बरी हुए पांच आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और केस की समस्त पत्रावली याचिकाकर्ता को दिलाए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ ने सरकार से 28 फरवरी तक जवाब पेश करने को कहा है.
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गणेश जोशी बोले हरीश रावत ने साजिश के तहत फंसायाःवहीं, मामले में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि स्थानीय न्यायालय ने उन्हें बरी किया था, लेकिन कुछ राजनीतिक प्रेमी ने हाईकोर्ट में पीआईएल दायर की है. लिहाजा, हाईकोर्ट में भी वो अपना पक्ष रखेंगे. उन्हें भरोसा है कि कुछ नहीं होगा. क्योंकि, उस घटना में वो नहीं थे. बावजूद इसके तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने साजिश के तहत उन्हें फंसाया था. जल्द ही दूध का दूध और पानी का पानी होगा.
जानिए शक्तिमान घोड़ा मौत मामला: बता दें कि 14 मार्च 2016 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार की कथित नाकामियों के विरोध में बीजेपी के सदस्यों ने बजट सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव किया था. विधानसभा के पास विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिसकर्मियों व बीजेपी समर्थकों के बीच झड़प भी हुई थी.
आरोप था कि इस दौरान बीजेपी विधायक गणेश जोशी ने पुलिस की लाठी छीनकर उन्हीं पर बरसाना शुरू कर दिया था. बीजेपी विधायक गणेश जोशी के लाठी से हमला करने और दूसरी तरफ से बीजेपी नेता प्रमोद वोहरा द्वारा लगाम खींचने से घोड़े का सारा भार उसके पीछे के हिस्से पर आ गया और वह गिर गया था, जिससे उसकी पिछली टांग की हड्डी टूट गई थी.