मसूरी:उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए सरकार ने गाइडलाइन जारी की है. वहीं, स्वास्थ्य सेवाओं को भी मुकम्मल करने के लाख दावे किए जा रहे हैं. लेकिन धरातल पर देखा जाए तो प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल है. सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए जा रहे सारे दावे खोखले नजर आ रहे हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने मसूरी से 8 किलोमीटर दूर बासाघाट गांव का जायजा लिया. यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल है. गांव में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. बीते दिन कोरोना संक्रमित बुजुर्ग व्यक्ति की अस्पताल ले जाते हुए मौत भी हो गई. परंतु न तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांव के लोगों का कोरोना टेस्ट करवाया गया, न ही अधिकारियों द्वारा गांव का निरीक्षण किया गया. इसको लेकर ग्रामीणों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ भारी आक्रोश व्याप्त है.
मसूरी से 8 किलोमीटर दूर और राजधानी देहरादून से करीब 20 किलोमीटर दूर बासाघाट गांव की स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बेहाल है. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के सुदूर क्षेत्र के गांवों का क्या हाल होगा. बासाघाट गांव और आस-पास के क्षेत्र की जनसंख्या 500 से ऊपर है. यहां पर लगातार कोरोना संक्रमित मरीज पाए जा रहे हैं. परंतु बेपरवाह स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और प्रशासन द्वारा गांव के लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है. कई बार क्षेत्र में कोरोना के टेस्ट और वैक्सीन लगाए जाने को लेकर कैंप लगाए जाने का आग्रह किया गया. परंतु कोई सुनने को तैयार नहीं है. ऐसे में गांव से मसूरी का अस्पताल काफी दूर है और गांव से कोरोना कर्फ्यू के कारण यातायात का साधन नहीं है. ऐसे में बुजुर्ग और महिलाओं को अस्पताल में इलाज कराने को लेकर असमर्थ हैं. प्रशासन द्वारा कोरोना संक्रमित मरीजों को मात्र कोरोना किट दी गई है, परंतु ना तो जिला प्रशासन और ना ही स्वास्थ विभाग द्वारा कोरोना संक्रमित मरीजों का हालचाल जाना गया. उन्होंने बताया कि उन्हें आशा कार्यकत्री के भरोसे छोड़ दिया गया है.