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बांको जौनसार हारूल गाने की सोशल मीडिया पर धूम, गायक ने युवाओं से कही ये बात

जौनसार बावर की तीज त्योहार और संस्कृति अपने आप में विश्व पटल पर अलग ही पहचान रखती है. यहां के प्रत्येक तीज, त्योहार, शादी विवाह में हारूल गीत का अलग ही अंदाज होता है.

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Published : Jan 4, 2020, 11:58 AM IST

Updated : Jan 4, 2020, 12:25 PM IST

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हारूल गाने की सोशल मीडिया पर धूम

विकासनगर: जौनसार बावर के युवा लोक गायक अरविंद राणा का 'बांको जौनसार हारूल' गीत लोगों को खूब पसंद आ रहा है. इस गीत में जौनसार बावर की सुंदरता का वर्णन किया गया है. वहीं, सोशल मीडिया पर भी ये गीत खूब धूम मचा रहा है.

जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर की तीज त्यौहार और संस्कृति अपने आप में विश्व पटल पर अलग ही पहचान रखती है. यहां के प्रत्येक तीज, त्योहार, शादी विवाह में हारूल गीत का अलग ही अंदाज होता है. हारूल जौनसार बावर का मुख्य नृत्य गीत है. हारूल गीत वीर रस, श्रृंगार रस, प्रकृति का वर्णन, परंपरागत इतिहास का वर्णन, लोक कलाकारों द्वारा किया जाता रहा है. सामूहिक नृत्य में हारूल का अंदाज ही कुछ निराला होता है. ढोल दमोऊ की थाप और रणसिंह की गूंज सभी लोगों को थिरकने पर मजबूर कर देती है.

हारूल गाने की सोशल मीडिया पर धूम.

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हारूल नृत्य गीत जौनसार बावर का मुख्य ऐतिहासिक और पारंपरिक गीत नृत्य है. जौनसारी जनजाति रीति अनुसार, विवाह के दौरान घरों में हारूल गीत गाया जाता है और नृत्य भी किया जाता है. साथ ही ये हारूल नृत्य सामूहिक रूप से पंचायती आंगन में पुरुष और महिलाओं की लंबी-लंबी कतारों के साथ ढोल दमाऊ की थाप पर किया जाता है.

जौनसार बावर के उभरते हुए युवा लोक गायक अरविंद राणा ने बताया कि जनजातीय संस्कृति अपने आप में अलग ही पहचान रखती है. बांको जौनसार, हारूल गीत ने मुझे पहचान दिलाई है. ये गीत स्टेज प्रोग्रामों में गाने का अवसर मिला है. लोग इस हारूल गीत को बहुत पसंद कर रहे हैं. वर्तमान में लाखों लोगों ने इसे पसंद किया है और मैं अपने युवा पीढ़ी से भी यही कहना चाहूंगा कि अपनी संस्कृति को जानें और इससे जुड़े रहें.

Last Updated : Jan 4, 2020, 12:25 PM IST

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