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मसूरी में धूमधाम से मनाया गया हरियाली तीज का पर्व, जानें क्या है इस पर्व का महत्व - Hariyali Teej celebrated with great pomp in Mussoorie

सावन के महीने में मनाया जाने वाला हरियाली तीज का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के दोबारा मिलन की खुशी के रूप में मनाया जाता है. इस पर्व सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करती हैं.

Mussoorie
मसूरी में धूमधाम से मनाया गया हरियाली तीज का पर्व,

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Published : Jul 23, 2020, 8:56 PM IST

Updated : Jul 26, 2020, 4:45 PM IST

मसूरी: पहाड़ों कि रानी मसूरी में हरियाली तीज का त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. शुक्रवार को मसूरी के गांधी चौक पर सभासद जसबीर कौर के नेतृत्व में हरियाली पर्व को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं ने सज संवर कर एक दूसरे को हरियाली तीज की शुभकामनाएं दी, साथ ही अपने परिवार और अपने पति की लंबी उम्र की भी कामना की.

वहीं, इस दौरान सभासद जसबीर कौर ने कहा कि हरियाली तीज का त्योहार सुहागिन महिलाओं के बीच मनाया जाता है. सुहागन महिलाएं के लिए हरियाली तीज का खास महत्व है उन्होंने बताया कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पूरे तन मन से करीब 108 सालों तक घोर तपस्या की थी, इसके बाद भगवान शिव ने प्रसन्न होकर माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था.

मसूरी में धूमधाम से मनाया गया हरियाली तीज का पर्व

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उन्होंने कहा कि हरियाली तीज के मौके पर उनके द्वारा महिलाओं को तुलसी के पौधे दिए गए है, जिसको वह अपने आंगन में लगाएंगे, उन्होंने कहा कि पर्यावरण का संरक्षण बहुत जरूरी है, ऐसे में सभी को अपने आसपास के पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए आगे आना चाहिए और अपने आसपास ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करना चाहिए.

हरियाली तीज का महत्व

सावन के महीने में मनाया जाने वाला हरियाली तीज का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के दोबारा मिलन की खुशी के रूप में मनाया जाता है. इस पर्व सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करती हैं. इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है. हरियाली तीज के मौके पर महिलाएं श्रृंगार कर एक जगह एकत्र होकर झूला झूलती और सावन के मधुर गीत गाती हैं.

पौराणिक मान्यता

मां पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. वहीं, उनके मिलन के लिए भगवान राम तक ने अपने आराध्य शिव से उनके और देवी पार्वती के मिलन के लिए वरदान मांगा था. इसी तिथि को भगवान शंकर ने अपने और माता पार्वती के मिलन की कहानी सुनाई थी तभी से महिलाएं प्रेम के इस त्योहार को मनाती हैं.

पूजन की विधि

हरियाली तीज पर घर की साफ सफाई करें. चौकी पर मंडप सजाकर मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश की प्रतिमा बना कर पाटे या चौकी पर स्थापित कर दें और भगवान और माता का आह्वान करने के बाद विधिपूर्वक पूजन करें. अखंड सौभाग्य के लिए किए जाने वाले इस व्रत में मां पार्वती को सुहाग की सामग्री अर्पित की जाती है. इसमें 16 श्रृंगार की वस्तुएं मां को समर्पित होती हैं, जिसमें चूड़ी, सिंदूर, साड़ी, चुन्नी, कंगन, मेंहदी, जैसी सुहागिनों से जुड़ी चीजें होती हैं और व्रत रख कर माता पार्वती से अखंड सौभाग्य का वरदान माना जाता है.

महिलाएं खुद भी सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं और पूरे विधि-विधान से मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं. हरियाली तीज व्रत का पूरी रात चलता है. इस दिन महिलाएं पूरी रात जागते हुए भजन कीर्तन करती हैं. कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को कर सकती हैं.

हरे रंग का है महत्व

हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह घर का काम करने के बाद श्रृंगार करती हैं और निर्जला व्रत रखती हैं, साथ ही विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके हरियाली तीज की कथा सुनती हैं. सावन मास में चारों तरफ हरियाली होने के कारण हरे रंग का इस पर्व में विशेष महत्व है. महिलाएं इस दिन हरें कपड़े, हरी चूड़ी, हरी चुनरी, हरा लहरिया पहनती हैं.

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त

श्रावण तृतीया आरंभ: 22 जुलाई शाम 7 बजकर 23 मिनट.

श्रावण तृतीया समाप्त: 23 जुलाई शाम 5 बजकर 4 मिनट तक.

Last Updated : Jul 26, 2020, 4:45 PM IST

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