अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने धरने पर बैठे हरीश रावत. हरिद्वार: अंकिता हत्याकांड (Ankita Bhandari Murder Case) मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Former Chief Minister Harish Rawat) एक बार फिर से आक्रामक मोड में आ गए हैं. इसी कड़ी में हरीश रावत देहरादून के गांधी पार्क में अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने के लिए 24 घंटे के धरने पर बैठे हैं. इस दौरान हरीश रावत ने अंकिता हत्याकांड मामले में वीआईपी के खुलासे की मांग की. साथ ही हरीश रावत ने अंकिता भंडारी केस को लेकर हो रही राजनीति पर भी सवाल खड़े किए.
वीआईपी के खुलासे के लिए 24 घंटे का धरना: गांधी पार्क में धरना दे रहे हरीश रावत ने कहा अंकिता भंडारी केस में जांच किसकी हो रही है और पुख्ता जांच को लेकर जनता को विश्वास होना चाहिए. क्योंकि इस समय जनता के विश्वास डगमगा हुआ है. इसीलिए उन्होंने तय किया कि 26 दिसंबर 12 बजे से 27 दिसंबर 12 बजे तक 24 घंटे का धरना गांधी पार्क देंगे. अंकिता हत्याकांड से जुड़े जितने पहलू हैं, वो साफ नहीं है. मामले में अदृश्य वीआईपी कौन है, जिसको हमारी पुलिस ट्रेस नहीं कर पा रही है. उसको भी कानून के शिकंजे में लाया जाए.
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क्या है मामला: बता दें कि 19 साल की अंकिता भंडारी यमकेश्वर ब्लॉक क्षेत्र में स्थित वनंत्रा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थी. वनंत्रा रिसॉर्ट बीजेपी से निकाल गए बड़े नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य का है. आरोप है कि पुलकित आर्य अंकिता भंडारी पर रिसॉर्ट में आने वाले गेस्टों को स्पेशल सर्विस (गलत काम) देने का दबाव बना रहा था, जिसके लिए अंकिता भंडारी ने मना कर दिया था. इसी वजह से अंकिता भंडारी और पुलकित आर्य के बीच बहस भी हुई थी. इसी वजह से अंकिता भंडारी नौकरी भी छोड़ने वाली थी.
आरोप है कि पुलकित आर्य को डर था कि अंकिता भंडारी रिसॉर्ट में हो रहे गलत कामों और उसके राज का पर्दाफाश कर देगी. इसी डर से पुलकित आर्य 18 सितंबर शाम को बहस होने के बाद अंकिता भंडारी को किसी बहाने से ऋषिकेश लेकर गया. इस दौरान पुलकित आर्य के साथ उसके दो मैनेजर सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता भी थी.
इन तीनों ने अपने इकबाल ए जुर्म में पुलिस को बताया था कि 18 सितंबर शाम को ही उन्होंने बीच रास्ते में चीला नहर में धक्क देकर अंकिता की हत्या कर दी थी. अंकिता की लाश 24 सितंबर चीला नहर से बरामद हुई है. अभी तीनों आरोपी जेल में बंद हैं. इस मामले की जांच के लिए सरकार ने डीआईजी पी रेणुका के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया था, जो इस मामले में तफ्तीश कर रही है.