देहरादूनःउत्तराखंड में सरकार की मेहरबानी पर सरकारी बंगले लेने वाले कांग्रेस के नेताओं को हरीश रावत ने राजनीतिक मर्यादाओं की एक बड़ी सीख दी है. हालांकि, उन्होंने पार्टी में किसी का नाम लिए बिना उन पुराने उदाहरणों को याद दिलाया, जब सरकारी सुविधाओं को उन्होंने महज इसलिए त्याग दिया था, क्योंकि वो सरकार के दबाव में संगठनात्मक गतिविधियों का हस्तक्षेप नहीं चाहते थे. हरीश रावत के इस बयान को प्रीतम सिंह और प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के सरकारी बंगले लेने से जोड़ कर देखा जा सकता है.
दरअसल, उत्तराखंड में बीजेपी सरकार कैसे कांग्रेस के नेताओं को सरकारी बंगलों की सौगात दे रही है. इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था. खास बात ये है कि विपक्षी दल के प्रदेश अध्यक्ष के नाते करन माहरा को तो आलीशान सरकारी बंगला आवंटित किया ही गया है. साथ ही मौजूदा समय में कांग्रेस के विधायक के अलावा कोई पद नहीं होने के बावजूद प्रीतम सिंह अब भी सरकारी बंगले की सुख सुविधाएं भोग रहे हैं.
इन हालतों में सवाल उठ रहे थे कि जब विपक्षी दल के नेता सरकारी सुख सुविधाओं से लैस रहेंगे तो वो विपक्षी धर्म कैसे निभा पाएंगे? यह सवाल अभी उठ ही रहे थे कि कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कुछ ऐसे तंज कस दिए हैं, जो प्रीतम सिंह और करन माहरा पर सीधा निशाना माने जा रहे हैं.