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कृषि कानून की वापसी पर बोले हरदा, जान गंवाने वाले किसानों को दें शहीद का दर्जा, परिजनों से मांगें माफी

मोदी सरकार ने तीनों विवादित कृषि कानून वापस लेने का एलान किया है. इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि अहंकार से चूर सत्ता द्वारा तीन काले कानून जो किसानों का गला घोंट रहे थे, उनको वापस ले लिया गया.

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हरीश रावत

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Published : Nov 19, 2021, 11:17 AM IST

Updated : Nov 19, 2021, 6:49 PM IST

देहरादून: गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कृषि कानूनों को लेकर बड़ा ऐलान किया है. मोदी सरकार ने तीनों विवादित कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है. मोदी के इस फैसले पर विपक्ष दलों के नेताओं की प्रतिक्रिया भी आनी शुरू हो गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि किसानों का गला घोंटने वाले तीनों काले कानूनों को वापस ले लिया गया है, ये संघर्ष की जीत है.

हरीश रावत ने अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखा कि, ये किसान भाइयों के संघर्ष की जीत है. ये उन एक हजार के करीब शहीदों की जीत है, जिन्होंने अपने प्राण उत्सर्ग कर दिए ताकि उनको विजय हासिल हो सके. हरीश रावत ने सरकार द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेना किसानों की अभूतपूर्व जीत बताई है, जिसके लिए उन्होंने किसानों को बधाई दी है. उन्होंने इसे लोकतंत्र की विजय मना है, क्योंकि सत्ता का अहंकार जनता के संघर्ष के सामने झुका है.

कृषि कानून की वापसी पर हरीश रावत की प्रतिक्रिया

जान गंवाने वाले किसानों को शहीद का दर्जा: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को लेकर एक बड़ी मांग केंद्र के सामने रखी है. हरीश रावत ने केंद्र सरकार से न केवल जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों से माफी मांगने के लिए कहा है. बल्कि ऐसे परिवारों को राष्ट्रीय परिवार और मृतक किसान को शहीद का दर्जा देने की बात की है. हरीश रावत ने कहा कि केंद्र सरकार को इन किसानों को शहीदों का दर्जा देना चाहिए.

पढ़ें-सरकार का तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान : पीएम मोदी

बता दें कि पीएम मोदी ने शुक्रवार सुबह 9 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानून वापस लेना का एलान किया था. उन्होंने कहा कि सरकार ये कानून काश्तकारों के हित में नेक नीयत से ये कानून लाई थी, लेकिन हम कुछ किसानों को समझाने में नाकाम रहे.

मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हम पूरी विनम्रता से किसानों को समझाते रहे. बातचीत भी होती रही, कानून के जिन प्रावधानों पर उन्हें ऐतराज था उन्हें सरकार बदलने को तैयार हो गई थी. साथियों आज गुरु नानक देवजी का पवित्र पर्व है यह समय किसी को दोष देने का नहीं हैं. मैं आज पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है. इसी महीने हम इसे वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी कर देंगे.

टिकैत ने आंदोलन खत्म करने से मना किया: बता दें कि सिंघु और टीकरी समेत दिल्ली के बॉर्डर पर किसान तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 14 महीने से आंदोलन कर रहे थे. अब सरकार के फैसले के बाद किसान संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि हम तुरंत आंदोलन वापस नहीं लेंगे, बल्कि इन्हें संसद में वापस लेने का इंतजार करेंगे.

Last Updated : Nov 19, 2021, 6:49 PM IST

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