देहरादून:प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने न्यूज़ पेपर ‘नेशनल हेराल्ड’ (National Herald) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) के एक मामले में पूछताछ के लिए कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और पार्टी नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को जून के शुरुआती हफ्ते में पेश होने के लिए समन जारी किया था. इस मामले में आज भी राहुल गांधी से ईडी के दफ्तर में पूछताछ की जा रही है. वहीं, कांग्रेसी इस मामले को लेकर ईडी दफ्तर के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस कड़ी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को भी प्रदर्शन करने को लेकर दिल्ली पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया है.
क्या है नेशनल हेराल्ड ?:नेशनल हेराल्ड एक न्यूज पेपर है, जिसे साल 1938 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने शुरू किया था. इस न्यूज पेपर को चलाने का जिम्मा 'एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड' (AJL) नाम की कंपनी के पास था. शुरुआत से इस कंपनी में कांग्रेस और गांधी परिवार के लोग हावी रहे. करीब 70 साल बाद 2008 में घाटे की वजह से इस न्यूज पेपर को बंद करना पड़ा. तब कांग्रेस ने एजेएल को पार्टी फंड से बिना ब्याज का 90 करोड़ रुपए का लोन दिया. फिर सोनिया और राहुल गांधी ने 'यंग इंडियन' नाम से नई कंपनी बनाई. यंग इंडियन को एसोसिएटेड जर्नल्स को दिए लोन के बदले में कंपनी की 99 फीसदी हिस्सेदारी मिल गई. यंग इंडियन कंपनी में सोनिया और राहुल गांधी की 38-38 फीसदी की हिस्सेदारी है. वहीं बाकी का शेयर मोतीलाल बोरा और आस्कर फर्नांडिस के पास था.
क्यों शुरू हुई ईडी की जांच? :जिस नेशनल हेराल्ड केस की वजह से राहुल गांधी का ईडी के सवालों से सामना हुआ, उसकी शुरुआत 10 साल पहले 2012 में हुई थी. जब सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में केस दर्ज कराया था. स्वामी ने आरोप लगाया था कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड ने 90.25 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो एजेएल पर कांग्रेस का बकाया था. इन दोनों के अलावा 4 और चेहरे इस केस में आरोपी बनाए गए थे. कांग्रेस के दो सीनियर नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस, पत्रकार सुमन दुबे और सैम पित्रोदा. इनमें से दो आरोपियों मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस का निधन हो चुका है.
स्वामी की ओर से दाखिल किए गए इस मुकदमे में आरोप लगाया गया कि यंग इंडिया लिमिटेड कंपनी के जरिए नेशनल हेराल्ड का गलत तरीके से अधिग्रहण किया गया और कांग्रेस नेताओं ने करोड़ों की संपत्ति हथिया ली. दो साल बाद जून 2014 में कोर्ट ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ समन जारी किया. इसके बाद अगस्त में ईडी ने मामले का संज्ञान लिया और मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया. सोनिया और राहुल गांधी ने साल 2015 में अलग-अलग 50 हजार रुपए के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि अदा करने के बाद दिल्ली की पटियाला कोर्ट से जमानत हासिल की थी. इसके अगले साल यानी 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों को व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी, लेकिन कार्रवाई रद्द करने से इनकार कर दिया.