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WATCH: गन्ना किसानों के समर्थन में हरीश रावत, देहरादून के गांधी मैदान में रखा मौन व्रत

Harish Rawat fast in Dehradun पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गन्ना किसानों की समस्याओं को लेकर 1 घंटे का मौन उपवास रखा. हरीश रावत ने कहा कि वो किसानों की आवाज को सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.

Harish Rawat fast in Dehradun
गन्ना किसानों के समर्थन में हरीश रावत,

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 7, 2023, 1:31 PM IST

गन्ना किसानों के समर्थन में हरीश रावत

देहरादून: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत गन्ना किसानों के साथ इकबालपुर चीनी मिल का बकाया भुगतान नहीं होने पर मोर्चा खोले हुए हैं. आज हरीश रावत ने गन्ना किसानों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ देहरादून के गांधी मैदान में मौन उपवास रखा. देहरादून के गांधी मैदान में मौन उपवास के बाद हरीश रावत ने कहा किसानों के सम्मान और उनके हक के लिए वे मौन उपवास रख रहे हैं.

हरीश रावत ने कहा उत्तराखंड के किसान पस्त हाल हैं. इसके बाद भी गन्ने का मूल्य घोषित नहीं किया गया. इस दौरान हरीश रावत ने उत्तराखंड में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर समिट पर भी तंज किया. हरदा ने कहा एक ओर प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट हो रही है, जिसमें अडानी, अंबानी जैसे बड़े-बड़े अरबपति देहरादून आ रहे हैं. वहीं, कांग्रेस ऐसे किसानों की आवाज को अपने तरीके से सरकार तक पहुंचाएगी.

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पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा हम बहुत दिनों से किसानों की आवाज को उठा रहे हैं. यह आपदाग्रस्त किसानों का मामला है. किसानों की गन्ना, धान जैसी फसल चौपट हो गई हैं. इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन सरकार मुआवजे के नाम पर किसानों को अपमानजनक मुआवजा दे रही है. उन्होंने कहा सरकार ने अभी तक गन्ने का खरीद मूल्य घोषित नहीं किया है.

हरीश रावत ने मांग उठाई कि दुनिया में चीनी की बढ़ी कीमतों को देखते हुए गन्ने का खरीद मूल्य ₹425 किया जाए. हरीश रावत ने कहा इकबालपुर चीनी मिल से किसानों का करीब 100 करोड़ रुपए बकाया भुगतान अभी तक नहीं हुआ है. किसानों के सामने खाद के मूल्य बढ़ने से समस्याएं खड़ी हो गई हैं. किसानों को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा हमने लक्सर, डोईवाला, भगवानपुर, छिद्दरवाला जैसी जगहों पर किसान सम्मान यात्रा निकालनी थी, लेकिन दुर्भाग्यवश वह दुर्घटनाग्रस्त हो गए. जिस कारण सम्मान यात्राएं आगे नहीं बढ़ पाई. इसलिए आज वह गांधी जी की शरण में आकर किसानों की समस्याएं उठा रहे हैं.

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