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विरोधियों के लिए मुश्किलों का 'पहाड़' खड़ा करेंगे हरदा! यहां से चुनाव लड़ने की चर्चाएं

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Published : Sep 14, 2020, 8:00 PM IST

हरीश रावत की पहाड़ वापसी की चर्चाएं उत्तराखंड के सियासी गलियारों में तेजी से पैर पसार रही हैं. 2022 की आगामी विधानसभा चुनाव की जंग में हरदा की पहाड़ वापसी की चर्चाओं ने उत्तराखंड के सियासी पारे को बढ़ा दिया है.

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विरोधियों के लिए मुश्किलों का‘पहाड़’ खड़ा करेंगे हरदा!

देहरादून: इन दिनों उत्तराखंड की सियासत में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत चर्चाओं में हैं. हाल ही में कांग्रेस आलाकमान ने हरीश रावत को पंजाब का प्रभारी बनाया है. जिसके बाद सूबे के सियासी गलियारों में हरदा के कद के बढ़ने की चर्चाएं हैं. वहीं, गाहे-बगाहे ये बात भी निकलकर सामने आ रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव-2022 हरदा पहाड़ में वापसी कर सकते हैं.

हरीश रावत की पहाड़ वापसी की चर्चाएं उत्तराखंड के सियासी गलियारों में तेजी से पैर पसार रही हैं. गौरतलब है कि हरीश रावत लंबे समय से राज्य के मैदानी क्षेत्रों में जमकर सियासी पारी खेल रहे हैं. लेकिन विधानसभा 2022 के चुनाव में हरदा की पहाड़ वापसी की चर्चाओं ने उत्तराखंड के सियासी पारे को बढ़ा दिया है.

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पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पहचान उत्तराखंड में भले ही एक ठेठ पहाड़ी नेता की हो. बावजूद इसके हरदा ने पहाड़ के सिर्फ धारचूला विधानसभा से बीते 21 सालों में एक उप-चुनाव ही लड़ा है. बता दें कि हरीश रावत, 1999 में अल्मोड़ा लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे. इसके बाद हुए आम चुनावों में हरदा, नैनीताल और हरिद्वार से ही चुनावी मैदान में उतरे. यहां तक की बीते आम चुनावों में भी उन्होंने पहाड़ की जगह मैदानी क्षेत्रों की सीटों पर ही ज्यादा भरोसा जताया था.

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इसके अलावा बीते विधानसभा चुनाव में हरदा उधमसिंह नगर के किच्छा विधानसभा सीट और जनपद हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा से चुनावी अखाड़े में उतरे थे. मगर सियासी दांवपेच के खिलाड़ी माने जाने वाले हरदा को इन दोनों ही विधानसभा सीटों पर हार गये. जिसके बाद अब उनकी पहाड़ वापसी की आहट ने विरोधियों को यह मुद्दा थमा दिया है.

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भले ही हरीश रावत ने अपनी ज्यादतर सियासी पारियां मैदानी क्षेत्रों से खेली हो. मगर उनकी जमीनी जुड़ाव पहाड़ के साथ कभी कम नहीं हुआ. हरदा ने अपने आप को पर्वत पुत्र साबित करने में कभी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. जिसका उदाहरण हरदा की आम पार्टी, काफल, रायता पार्टी हैं. इसके अलावा वे लगातार स्थानीय उत्पादों और पहाड़ को आगे बढाने के लिए काम करते रहते हैं.

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बीते दिनों हरीश रावत ने कहा था कि वे सत्ता में आने के बाद जनता को बिजली, पानी जैसी सुविधाएं मुफ्त में उपलब्ध करेंगे. यही नहीं, पंजाब का प्रभारी बनाये जाने के बाद हरदा ने ETV Bharat से बातचीत में भी इस बात पर भी जोर दिया था. उन्होनें कहा वे न सिर्फ पंजाब बल्कि उत्तराखंड में भी सक्रिय तौर पर काम करेंगे. यानी कुल मिलाकर कहा जाए तो हरीश रावत का यह संकेत इस ओर इशारा करता है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत अपनी किस्मत जरूर आजमाएंगे.

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वहीं, इस मामले पर भाजपा विधायक और प्रदेश उपाध्यक्ष खजान दास ने बताया कि हरीश रावत का उत्तराखंड से मोह है. यह मोह होना भी चाहिए क्योंकि उत्तराखंड हरीश रावत की जन्मभूमि और कर्मभूमि है. उन्होंने कहा कांग्रेस में जो गुटबाजी देखने को मिल रही है, उससे साफ पता चलता है कि वे पार्टी के बड़े लीडर को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं. यही वजह है कि हर बार हरीश रावत के खिलाफ बयानबाजी की जाती है. उन्होंने कहा आने वाले समय में हरीश रावत का भविष्य क्या होगा, ये तो भविष्य ही तय करेगा.

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कुल मिलाकर हालात जो भी हो मगर आने वाले विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों की नजरे हरीश रावत पर जरुर रहेंगी. अगर हरदा 2022 के सियासी समर में किस्मत आजमाते हैं तो निश्चित हैं कि प्रदेश की राजनीति के समीकरणों में बदलाव देखने को मिलेगा.

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