देहरादून:कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एक बार फिर चर्चाओं में हैं. इस बार सुर्खियों का कारण उनका कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा देना है. इस बारे में ईटीवी भारत संवाददाता धीरज सजवाण ने उनसे खास बातचीत की.
पूर्व सीएम हरीश रावत से खास बातचीत. अपने इस्तीफा देने के बारे में हरीश रावत ने कहा कि जो उनके मन ने उचित समझा वो कदम उन्होंने उठाया है. राहुल गांधी उनके लिए प्रेरणा हैं. रावत ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि कठिन परिस्थितियों में राहुल के साथ काम करते हुए वो कांग्रेस को फिर से पुराने स्थान पर लाएंगे, लेकिन जब राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया तो उन्हें भी स्वाभाविक तौर पर हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, इसलिए उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दिया.
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लोकसभा चुनाव में असम के अंदर पार्टी की जो हार हुई है. असम प्रभारी के तौर पर वो इसकी जिम्मेदारी लेते हैं. असम में पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी. हरीश रावत की मानें तो असम में कांग्रेस का वोट प्रतिशत जरूर बढ़ा है. हरीश रावत के इस्तीफा देने के बाद उत्तराखंड कांग्रेस में इस तरह की आवाज फिर से उठने लगी है कि पार्टी के सभी पदाधिकारियों को हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पदों से इस्तीफा देना चाहिए. इसपर रावत ने कहा कि किसी पर भी इस्तीफे का कोई दबाव नहीं है. उनके इस्तीफे की प्रतिक्रिया बहुत ही स्वाभाविक थी.
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रावत ने कहा कि उन्होंने अपनी इस्तीफा ट्विटर पर जरूर डाला, लेकिन जैसे ही उन्हें जानकारी मिली कि राहुल गांधी अब राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नहीं हैं तभी उन्होंने अपने राष्ट्रीय महासचिव के पद से लिखित में भी इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे के पीछे कोई राजनीतिक या फिर कोई सोची-समझी रणनीति नहीं है, उन्हें स्वाभाविक लगा और इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया. हरीश रावत ने कहा कि यह जरूरी नहीं कि उन्होंने इस्तीफा दिया तो अन्य लोग भी इस्तीफा दें. राज्य में ये पंचायत चुनाव का समय है और सभी को पंचायत चुनाव में कांग्रेस के लिए काम करना है. वह भी प्रदेश अध्यक्ष के साथ पंचायत चुनाव में काम करेंगे. यह अलग बात है कि अब वो कार्यकर्ता के रूप में प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में काम करेंगे.
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हरीश रावत के इस्तीफे को लेकर बीजेपी नेता उनपर लगातार टिप्पणी कर रहे हैं. रावत ने कहा कि बीजेपी नेताओं को जो बेहतर लगता है वो करते हैं. उन्हें उस पर ज्यादा कुछ नहीं कहना है. वो जल्द ही राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे और कहेंगे कि कांग्रेस ने उन्हें बहुत कुछ दिया है, वे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन अब वो कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में काम करेंगे. अब वो बिना किसी पद के पार्टी को एकजुट करने का काम करेंगे. उनका फोकस कांग्रेस के मजूबत करने पर है.
हरीश रावत ने कहा कि हमारा मुकाबला एक सुसंगठित रेजिमेंट, पार्टी या फिर कह सकते हैं कि आरएसएस जैसे अर्धसैनिक बलों की पार्टी से है, जिससे थोड़ा नए तरीके से लड़ना होगा और कांग्रेस में बदलाव लाने पड़ेंगे. 2024 तक कांग्रेस की परिस्थितियां पूरी तरह बदल जाएंगी.