देहरादून: देश में इस समय बेरोजगारी बड़ा मुद्दा बनती जा रही है. कांग्रेस ने इस मामले में सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. हालांकि, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने त्रिवेंद्र सरकार को रोजगार सृजन के लिए कुछ सुझाव दिए हैं.
हरदा ने कहा कि वे अपने सुझावों को कई बार सार्वजनिक कर चुके हैं, लेकिन लेकिन केंद्र सरकार से जीएसटी की मुआवजा राशि नहीं मिलने पर उन्हें लगा कि दोबारा उन सुझावों को सार्वजनिक करना चाहिए. उनके इन सुझावों को पूरी तरह से निजी माना जाए. इन सुझावों की पृष्ठभूमि उनकी उपस्थिति में आयोजित हुए वेबीनार में राज्य के आय के स्रोत और रोजगार सृजन को लेकर विशेषज्ञों द्वारा दिए गए सुझावों के कुछ अंशों पर आधारित हैं.
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हरदा का मानना है कि देश के साथ ही उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था काफी निचले पायदान पर पहुंच गई है. ऐसे में राज्य के सामने बढ़ती बेरोजगारी चुनौती बनकर खड़ी हो गई है. इन हालात में अगर राज्य तत्काल सात से आठ सौ करोड़ रूपए बाजार से उधार नहीं लेती है तो सरकार के सामने गंभीर भुगतान का संकट पैदा हो सकता है.
बड़ी आपदा के बावजूद उनके कार्यकाल में प्रति व्यक्ति की औसत आमदनी 71 हजार रुपए से बढ़ाकर 1 लाख 73 हजार रुपए तक पहुंचाया गई थी. उन्होंने राजस्व वृद्धि दर को निरंतर बढ़ाते हुए 19 प्रतिशत वार्षिक तक पहुंचाया गया. उसके बाद 2017 में राज्य की बागडोर सीएम के तौर पर त्रिवेंद्र रावत ने संभाली, उस दौरान राज्य की विकास दर 10 प्रतिशत से ऊपर थी, जो अब माइनस 25 प्रतिशत तक पहुंचने की आशंका है.
हरदा के पांच सुझाव
- पर्यटन के विभिन्न क्षेत्र जिसमें लेजर, ईको, सांस्कृतिक, साहसिक पर्यटन शामिल है उन्हें पूरी तरह से प्रतिबंध मुक्त किया जाए और प्रोत्साहन योजना बनाकर इससे जुड़े हुए लोगों को प्रोत्साहित किया जाए. तीर्थाटन के क्षेत्र में कुंभ और कुंभ के आगे पीछे तीर्थ यात्रियों को उत्तराखंड आने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कुंभ यात्रियों की अनुमानित संख्या में 30 से 40 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट न आए.
- शादी विवाह, संस्कार, मंदिरों आदि में जो पूजा पाठ किए जाते हैं, उनमें आंशिक प्रतिबंध लगा हुआ है. उन प्रतिबंधों को थिथिल कर दिया जाए. इन कार्यों से जुड़े व्यवसायियों व कार्मिकों को सहायता स्वरूप धनराशि दी जाए.
- राज्य के अंदर जमीन के सर्किल रेट निर्धारित किए गए हैं, उनको एकदम घटाकर 50 प्रतिशत पर लाया जाए. इसके साथ ही नजूल भूमि घरों का नियमितीकरण करते हुए निर्माण के क्षेत्र में लगी हुई पाबंदियों को थिथिल किया जाए.
- प्रत्येक बिक्री केंद्र पर न्यूनतम 15 प्रतिशत लोकल उत्पादित वस्तुओं को विक्रय के लिए रखना अनिवार्य कर दिया जाए. इसमें ऐसे बिक्री केंद्रों को छूट मिल सकती है जहां स्थानीय वस्तु उत्पादित नहीं होती है.
- यदि वर्ष 2020-21 में हम बोल्ड स्टेप्स नहीं उठाएंगे तो हमारी राज्य की छोटी सी अर्थव्यवस्था 2022-23 तक आते-आते पूरी तरह से सिकुड़ जाएगी. इससे नौकरी के अवसर और अधिक कम हो जाएंगे. लोगों की खरीद शक्ति में भारी गिरावट आएगी. इसलिए वो राज्य सरकार को सुझाव देना चाहते हैं कि राज्य में प्रस्तावित गैरसैंण सहित 11 नए जिलों की स्वीकृति जारी करते हुए उनका संचालन प्रारंभ किया जाए. इस कदम के बाद राज्य में व्यापक रूप से आर्थिक स्पंदन पैदा होगा जिससे नई आर्थिक गतिविधियां नए नए क्षेत्रों में सृजित होगी.