देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लॉकडाउन के दौरान अपने गांव वापस पहाड़ आए युवाओं के रोजगार को लेकर चिंता जताई है. हरीश रावत का कहना है कि अपना कार्य स्थल छोड़कर वापस गावों की ओर आए बच्चों के लिए लॉकडाउन खुलने के बाद उनके लिए रोजगार के अवसर तलाशने होंगे.
हरीश रावत का कहना है कि आज उन्हें उन बच्चों की याद आ रही है, जो अपना काम छोड़कर गांवों की ओर वापस आ गए हैं. उन्हें इस बात की फिक्र है कि लॉकडाउन के बाद आखिर कितने बच्चों को वापस काम मिल पाएगा? पहले से ही उत्तराखंड सर्वाधिक बेरोजगारी से त्रस्त है. मार्च में लॉकडाउन से पहले 19 से 20 प्रतिशत जो राज्य सर्वाधिक बेरोजगारी वाले थे, उनमें उत्तराखंड भी शामिल था.
इसके बाद अब परिस्थितियां और भी बिगड़ जाएंगी. क्योंकि राज्य में अभी जो उद्योग हैं, उसको लेकर भी संदेह की स्थिति है. उन्होंने कहा कि यूं तो उत्तराखंड में लोग उन्हें गर्म आलू जैसा समझने लगे हैं. जिसमें उनके दोस्त भी शामिल हैं. ऐसे में उनका मानना है कि अभी से ही रोजगार सृजन पर विमर्श प्रारंभ कर देना चाहिए. यह देखना चाहिए कि कैसे हम अपने परंपरागत क्षेत्र जैसे खेती, जंगल, प्रकृति, एडवेंचर, टूरिज्म, गांव के होमस्टे में रोजगार तलाश सकते हैं.