देहरादून: उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में नई आबकारी नीति को मंजूरी दे दी है, जिसमें कई बदलाव किये हैं. ऐसे में नई आबकारी नीति के अनुसार अब एक नहीं बल्कि दो सालों के लिए ई-टेंडरिंग के जरिये शराब की दुकानों का आवंटन किया जाएगा. वहीं, त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले पर हरदा ने कई सवाल खड़े किये हैं. हरीश रावत का कहना है कि त्रिवेंद्र सरकार का एक साल का कार्यकाल शेष बचा है. ऐसे में दो साल के लिए दुकानों को अनुबंधित करना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर पुरजोर तरीके से उठाएगा.
हरीश रावत ने अपने ट्वीटर पर लिखा है कि उत्तराखंड के छोटे व्यापारी जो पहले एक दुकान, दो दुकान ले लेते थे, अब वो सिरे से गायब और ई-टेंडरिंग के नाम पर बड़ी-बड़ी और हम समझ गये हैं. भाजपा को जिन्होंने मेरे विरोध में चुनाव में बड़ी-बड़ी गठरी दी थी, ये उनके नाम होने जा रहा है.
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जिनसे मैंने बड़ी मुश्किल से उत्तराखंड के आबकारी विभाग को छुड़ाया था. उनको भाजपा ने पूरा शराब व्यापार सौंपने का निर्णय ले लिया है, ऐसा मुझे प्रतीत होता है और सरकार 1 साल के लिये व नीति 2 साल के लिये. मुझे उम्मीद है कि विपक्ष बोलेगा और जमकर बोलेगा. धन्य है भाजपा,"कद्दू काटते हैं और फिर बांटते हैं''.
बता दें कि नई आबकारी नीति के अनुसार अब दो वर्षों के लिए शराब की दुकानों का आवंटन ई-टेंडरिंग के माध्यम से होगा. वहीं, सभी दुकानों का राजस्व नए सिरे से तय होगा और दुकानों में बचा हुआ स्टॉक विभाग को हैंडओवर किया जाएगा. टेंडर के लिए आवेदन शुल्क भी बढ़ाकर 40 हजार से 50 हजार किया गया है. इस बार भी देसी शराब की दुकान में बीयर की बिक्री की अनुमति दी गयी है. वहीं, शराब की दुकानों को खोलने का समय भी सुबह 10 बजे से शाम 10 बजे तक निर्धारित किया गया है.