देहरादून:उत्तराखंड में वन विभाग अवैध अतिक्रमण को लेकर लगातार कार्रवाई कर रहा है. इस एक्शन को प्रदेश में लैंड जिहाद पर शिकंजा कसने के रूप में भी देखा जा रहा है. इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वन विभाग की इस कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए इसे एकतरफा और गरीबों के आशियाना छीनने वाला बता दिया है.
राज्य भर में इन दिनों वन विभाग अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में जुटा हुआ है. इस कड़ी में सैकड़ों हेक्टेयर जमीन अब तक वन विभाग खाली करवा चुका है. इन्हीं स्थितियों पर हरीश रावत ने तंज कसते हुए वन विभाग के एक्शन को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी बात रखी है.
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हरीश रावत ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपनी बात रखते हुए वन विभाग की इस कार्रवाई को एकतरफा बता दिया है. सोशल मीडिया पर हरीश रावत ने लिखा कि, केदारनाथ क्षेत्र में बड़ी संख्या में ऐसे लोग रह रहे हैं जो मेहनत-मजदूरी कर अपनी आजीविका चला रहे हैं, लेकिन वन विभाग ऐसे लोगों पर अभियान चलाकर कार्रवाई कर रहा है. हरीश रावत ने इस कार्रवाई को लैंड जिहाद के नाम पर गरीबों का शोषण करने वाला बताया.
हरीश रावत ने लिखा कि, 'अब लैंड जिहाद के खिलाफ राज्य सरकार और वन विभाग की कुल्हाड़ी मद्महेश्वर क्षेत्र और ऐसे हमारे दूसरे क्षेत्रों में जहां हमारे देवता विराजमान हैं और वहां लोग दर्शन के लिए जाते हैं, यात्रा के लिए जाते हैं और उनको जो पानी, चाय आदि पिलाने वाले लोग हैं उन पर बरसने जा रही है. केदारनाथ क्षेत्र में बड़ी संख्या में ऐसे लोग जो किसी झोपड़ी में रह रहे हैं, किसी और तरीके से लोगों तक अपनी सेवा सुसूरवा पहुंचाकर अपनी आजीविका का पालन कर रहे हैं, उनको नोटिस देकर वन भूमि से हटाया जा रहा है, लैंड जिहाद की तलवार गरीबों की गर्दन पर...'
गौर हो कि, उत्तराखंड सरकार ने पिछले दिनों राज्य के वन क्षेत्रों में अवैध धार्मिक निर्माणों को हटाने के अभियान की शुरुआत की थी. इसमें बकायदा आईएफएस अफसर डॉ. पराग मधुकर धकाते को जिम्मेदारी दी गई थी. इसके बाद से ही प्रदेश भर में अवैध अतिक्रमण हटाने को लेकर काम चल रहा है.
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हरीश रावत से पहले कांग्रेसी लैंड जिहाद के नाम पर भाजपा पर वोटों की राजनीति करने का आरोप लगाती रही है, लेकिन इस बार केदारनाथ क्षेत्र का जिक्र करते हुए हरीश रावत ने सीधे तौर इस कार्रवाई पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है.