देहरादून: ईटीवी भारत से खास बातचीत में हरक सिंह रावत ने कहा कि दमयंती रावत को नियमों को विपरीत बोर्ड के सचिव पद से हटाया गया है. हरक सिंह रावत ने कहा कि बोर्ड के अध्यक्ष को इतनी पावर नहीं है कि वह बोर्ड के सचिव को हटा सकें. सचिव दमयंती रावत को हटाने की जो कार्रवाई हुई है, वह नियमों के खिलाफ हुई है.
हरक सिंह रावत ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान नियमावली का हवाला देते हुए साफ किया कहा कि 'मुख्यमंत्री से लेकर दर्जाधारी तक के लिए एक नियमावली बनाई गई है. ऐसे में नियमों से बनाए गए अधिकारी को इस तरह कैसे हटाया जा सकता है? हरक सिंह रावत ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से भी यह बात कही कि आप किसी को हटाने वाले कौन होते हैं?
हरक सिंह रावत के मुताबिक दमयंती रावत को नियमों के तहत तैनाती दी गयी थी. ऐसे में एक अधिकारी को अपमानित नहीं किया जा सकता. यही नहीं, बोर्ड से हटाए गए सदस्यों को भी नियम विरुद्ध हटाया गया है. हरक सिंह रावत ने कहा कि दमयंती रावत अभी बोर्ड की सचिव हैं और सभी सदस्य अभी उसी पूर्ववत स्थिति में हैं. हरक सिंह ने कहा कि सरकार की तरफ से यह कदम कार्यकर्ताओं को एडजस्ट करने के लिए किया गया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुलाकात के दौरान यह बात कही.
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गौर हो कि पहले 20 अक्टूबर को कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से श्रम मंत्री हरक सिंह रावत को हटाया गया और फिर 28 अक्टूबर को हरक सिंह रावत की करीबी सचिव पद पर तैनात दमयंती रावत को भी हटा दिया गया. इससे हरक सिंह का गुस्सा बढ़ गया है.
जानिए कौन हैं दमयंती रावत
बता दें कि दमयंती रावत मूल रूप से शिक्षा विभाग में खंड शिक्षा अधिकारी हैं. वर्ष 2012 में प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आई तो हरक सिंह रावत कृषि मंत्री बने. तब दमयंती रावत खंड शिक्षा अधिकारी सहसपुर में तैनात थी. कृषि विभाग में दमयंती रावत के लिए बकायदा विशेष कार्याधिकारी का निसंवर्गीय पद ग्रेड वेतन 8700 स़ृजित किया गया और इस पर प्रतिनियुक्ति के जरिए दमयंती रावत की ताजपेाशी की हुई. वही. तत्कालीन शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने एनओसी देने से मना कर दिया था. लेकिन दमयंती रावत बेरोकटोक प्रतिनियुक्ति पर आ गई.
यही नहीं कुछ समय बाद उनका ओहदा बढ़ाकर उन्हें कृषि विभाग में उत्तराखंड बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण अभिकरण के निदेशक पद पर तैनात कर दिया गया. जिसके बाद साल 2016 में सत्ता के समीकरण गड़बड़ाए और मंत्री हरक सिंह रावत को अपनी विधायकी से हाथ धोना पड़ा, तो इसका असर दमयंती रावत पर भी पड़ा.