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पाखरो केस: हरक के छलके आंसू, बोले- 6000 पेड़ काटे जाना साबित हुआ तो आजीवन कारावास मंजूर, IFS लॉबी पर किया बड़ा खुलासा - पाखरो सफारी प्रोजेक्ट की जांच शुरू

harak singh rawat revelation on Corbett Pakhro Tiger Safari project उत्तराखंड कॉर्बेट नेशनल पार्क की पाखरो रेंज में टाइगर सफारी निर्माण घोटाले मामले में आरोपियों के खिलाफ कानूनी शिकंजा कसना शुरू हो गया है. इस मामले में कथित तौर पर पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत को नाम भी सामने आ रहे है. कल 13 अक्टूबर को ही इस मामले में सीबीआई ने मुकदमा दर्ज किया है. वहीं जब इस मामले पर पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत से सवाल किया गया तो वो भावुक हो गए. Corbett Pakhro Tiger Safari project

Tiger Safari project
Tiger Safari project

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 14, 2023, 6:59 PM IST

Updated : Oct 14, 2023, 7:08 PM IST

कॉर्बेट नेशनल पार्क पाखरो टाइगर सफारी घोटाले पर हरक सिंह रावत का खुलाला.

देहरादून: उत्तराखंड में कॉर्बेट के पाखरो टाइगर सफारी प्रकरण पर सीबीआई ने कार्रवाई शुरू कर दी है. मामले में मुकदमा दर्ज कर सीबीआई तत्कालीन डीएफओ किशन चंद और रेंजर बृज बिहारी शर्मा के घर में छापेमारी की कार्रवाई भी कर चुकी है. इस बीच मामले को लेकर ईटीवी भारत से बात करते हुए तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत ने न केवल कुछ बड़े खुलासे किए हैं बल्कि भावुक होते हुए राजनीति छोड़ने तक का दावा कर दिया है.

उत्तराखंड के कद्दावर नेता और भाजपा सरकार में वन मंत्री रहे हरक सिंह रावत ने कॉर्बेट टाइगर पार्क में पाखरो टाइगर सफारी को लेकर कुछ बड़े दावे किए हैं. दरअसल, एक दिन पहले ही इस मामले में अवैध रूप से पेड़ काटे जाने और टाइगर सफारी बनाने के नाम पर अवैध निर्माण किए जाने को लेकर सीबीआई ने दो पूर्व अफसरों के घरों पर छापेमारी की है. इसी प्रकरण को लेकर ईटीवी भारत से बात करते हुए हरक सिंह रावत ने कुछ ऐसे बड़े दावे किए जो राजनीतिक रूप से भी चर्चाओं में आ गए हैं.
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हरक सिंह रावत ने पाखरो टाइगर सफारी के नाम पर बड़ा घोटाला किए जाने के सवाल को लेकर दावा पेश करते हुए कहा है कि यदि 6000 की जगह 3000 पेड़ काटने को भी साबित कर दिया जाता है तो वह राजनीति छोड़ देंगे. उन्होंने कहा कि वो पूरे दावे के साथ यह कह सकते हैं कि कॉर्बेट टाइगर पार्क में 6000 पेड़ नहीं काटे गए थे और दुनिया की कोई भी एजेंसी यदि यह साबित कर देती है तो उन्हें आजीवन कारावास की सजा दे दी जाए और वह कोई भी सजा भुगतने को तैयार हैं.

वहीं, सीबीआई जांच के आगे बढ़ने और छापेमारी तक की कार्रवाई शुरू करने के बाद हरक सिंह रावत ने एक बड़ा खुलासा यह भी किया कि पाखरो टाइगर सफारी न बनने देने के लिए इस प्रोजेक्ट को बदनाम किया गया है और इसके पीछे उत्तराखंड में आईएफएस अधिकारियों की एक लॉबी भी शामिल हैं, जिन्हें उनके कार्यकाल के दौरान या तो महत्वपूर्ण पदों से हटाया गया या फिर वो इन पदों पर नहीं आ सके. इसके अलावा उन्होंने रामनगर की उस व्यवसायी लॉबी को भी जिम्मेदार बताया जो इसके बनने से खुद को प्रभावित होने की आशंका लगा रहे थे.
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हरक सिंह रावत ने ईटीवी भारत से बात करते हुए जब ये सारी बातें रखी, तो वो भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू छलक उठे. उन्होंने कहा कि वो बचपन में जब गांव में रहते थे तो खुद जंगलों से स्कूल जाया करते थे. उन्हें जंगल के हालातों का पूरा ज्ञान है. उन्होंने कहा कि राज्यहित से जुड़े इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए जहां उनको शाबाशी मिलनी चाहिए थी, वहां उन पर आरोप लगाए जा रहे हैं. इतना ही नहीं, हरक सिंह रावत ने कहा कि भविष्य में उन्हें यकीन है कि पाखरो टाइगर सफारी को वो बनवाकर रहेंगे, और इसके लिए कोई भी लड़ाई लड़नी पड़ेगी तो वो उसके लिए तैयार हैं.

उधर, दूसरी ओर हरक सिंह रावत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में जिस तरह से उनका नाम घसीटा जा रहा है उसके बाद वो साफ कह देना चाहते हैं कि उस दौरान इस परियोजना के लिए जो भूमिका तत्कालीन मुख्यमंत्री की थी और प्रमुख सचिव की थी वही भूमिका उनकी भी थी.

क्या है मामला: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कालागढ़ वन प्रभाग में आने वाले पाखरो रेंज में टाइगर सफारी के निर्माण के लिए पेड़ों के अवैध कटान व निर्माण कार्यों में गड़बड़ी के मामले में सीबीआई ने एक दिन पहले ही देहरादून में पूर्व रेंजर बृज बिहारी शर्मा और हरिद्वार में पूर्व डीएफओ किशनचंद के आवास पर छापेमारी की कार्रवाई की है. इससे पहले नैनीताल हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे.
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दरअसल, पाखरो में अवैध पेड़ काटने के मामले में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, NTCA और NGT के अलावा उत्तराखंड वन विभाग भी जांच कर कोर्ट में रिपोर्ट दे चुका है. देहरादून निवासी अनु पंत ने 2021 में नैनीताल हाईकोर्ट में इस प्रकरण में सीबीआई जांच करवाने की मांग की थी, और कोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान भी लिया था.

ऐसे पता चला था मामला: बीजेपी की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने साल 2019 में पाखरो में टाइगर सफारी निर्माण के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी मांगी थी. 2019-20 में पाखरो में 106 हेक्टेयर वन भूमि पर कार्य शुरू किया गया था. उत्तराखंड सरकार की ओर से कहा गया था कि इस प्रोजेक्ट के लिए केवल 163 पेड़ काटे जाएंगे, लेकिन बाद में हुई जांच में पता चला कि इस दौरान बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए.

एक वन्यजीव कार्यकर्ता गौरव बंसल ने सबसे पहले ये मामला दिल्ली हाईकोर्ट में उठाया था. साल 2021 में इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट ने एनटीसीए को निर्देशति किया था. एनटीसीए की गठित समिति ने सितंबर 2021 में कॉर्बेट पार्क का निरीक्षण किया और 22 अक्टूबर 2021 को अपनी रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में एनटीसीए ने मामले की विजिलेंस जांच और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी. फिर नैनीताल हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2021 में मामले का स्वत: संज्ञान लिया.

इसके बाद उत्तराखंड वन विभाग ने फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) को जांच करवाई. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने पूरे एरिया (ने पाखरो, कालू शहीद, नलखट्टा और कालागढ़ ब्लॉक) का सैटेलाइट इमेज के जरिए और फील्ड निरीक्षण से पता लगाया कि 163 की जगह 6,903 पेड़ काट दिए गए. फिर इस मामले ने तूल पकड़ा. लेकिन वन विभाग ने इस रिपोर्ट को नहीं माना.

अक्टूबर 2022 में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए 3 सदस्यीय कमेटी बनाई गई. इस समिति में एडीजी वाइल्ड लाइफ विभाग, एडीजी प्रोजेक्ट टाइगर और डीजी फॉरेस्ट शामिल थे. मार्च 2023 में इस कमेटी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को रिपोर्ट सौंपी और निर्माण के नाम पर अवैध कार्यों की पूरी जानकारी दी और जिम्मेदार अधिकारियों के नाम भी रिपोर्ट में लिखे. उस रिपोर्ट में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत और आठ अन्य अधिकारियों का नाम था.

उधर, सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल एम्पॉवर्ड कमेटी ने इन सभी जांचों को आधार बनाकर जनवरी 2023 में अपनी एक रिपोर्ट तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में सौंपी. रिपोर्ट में बताया गया था कि कॉर्बेट फाउंडेशन के करीब ₹200 करोड़ से ज्यादा के बजट का भी उपयोग किया गया. सेंट्रल एम्पॉवर्ड कमेटी ने इस रिपोर्ट में तब वन मंत्री रहे हरक सिंह रावत को भी जिम्मेदार बताया था. तमाम जांच रिपोर्ट्स के बाद उत्तराखंड वन विभाग ने कॉर्बेट में तैनात रेंजर बृज बिहारी, डीएफओ किशन चंद, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस सुहाग को निलंबित किया गया. तत्कालीन पीसीसीएफ हॉफ राजीव भरतरी को भी उनके पद से हटाया गया था.

Last Updated : Oct 14, 2023, 7:08 PM IST

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