नूंह (हरियाणा):सूबे में देशी गेहूं 306 किस्म का कोई जवाब नहीं है. खाने में मुलायम, चमकीला देशी गेहूं सब किस्मों पर भारी पड़ता है. जैसे गेहूं की रौनक-धमक सब किस्मों पर भारी पड़ता है, वैसे ही इसका भूसा सबसे ज्यादा सफेद और मुलायम होता है. इंसान को गेहूं की रोटी खाने में तो जानवरों को चारा खाने में अलग ही आनंद आता है. गेहूं की इस किस्म की नूंह जिले में सबसे ज्यादा पैदावार होती है. जिले के हजारों किसान करीब 5500 हैक्टेयर भूमि में बिजाई कर चुके हैं.
दाम ज्यादा है, लेकिन डिमांड कम नहीं!
कृषि विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि गुणवत्ता के मामले में देशी गेहूं का जवाब नहीं है. बढ़ता ज्यादा है, लेकिन उत्पादन कम होता है. अन्य किस्मों से देशी गेहूं यानी 306 का भाव काफी अधिक होता है. नूंह में रहने वालों की ही नहीं, सूबे की राजधानी चंडीगढ़ से लेकर देश के कई राज्यों के लोगों की देशी गेहूं पहली पसंद है. इस गेहूं की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें सिंचाई की कम जरूरत होती है. नूंह जिले में नहरी पानी और ट्यूबवैल के पानी की कमी है. बरसात पर ही देशी गेहूं की खेती आधारित है.
बिन सिंचाई से हो जाती है खेती
कुछ गांव की भूमि तो ऐसी है, जहां बिना सिंचाई के ही गेहूं की खेती होती है. चंदेनी, घासेड़ा, रिठौड़ा, आकेड़ा, मालब, मेवली, बलई, बनारसी इत्यादि गांव हैं. जहां पर अधिकतर किसान देशी गेहूं की खेती करते हैं. चंदेनी गांव के अलावा घासेड़ा इत्यादि गांव की बात करें तो डाहर की भूमि में देशी गेहूं की बिजाई अधिक होती है.