मसूरी: गुरुद्वारा लंढौर साहिब (Gurudwara Landour Sahib) में 105वां दीवान धूमधाम से मनाया गया. इस मौके पर सुबह गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) का पाठ और शबद कीर्तन किया गया. साथ ही विश्व शांति के लिए अरदास (Ardas for world peace) की गई.
गुरुद्वारा लंढौर साहिब से निकाली गई शोभा यात्रा मलिंगार होते हुए, लंढौर बाजार, कुलड़ी मालरोड से गांधी चौक तक गुरूद्वारा साहिब ट्रस्ट तक गई. शोभा यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया. जिसमें मसूरी, देहरादून, डोईवाला, पांवटा साहिब, विकास नगर, सहित स्त्री सत्संग लंढौर, गतका पार्टी आदि की संगतों ने भी प्रतिभाग किया.
शोभा यात्रा नगर कीर्तन में बैंड बाजों सहित गुरुनानक फिफथ सेंटेनरी स्कूल संग्रीला, तिब्बतन केंद्रीय विद्यालय बैंड एवं गुरुनानक स्कूल विंसेंट हिल के पाइप बैंड के साथ ही विभिन्न स्थानों से आये अखाड़ों ने भी अपनी कला से लोगों का दिल जीता लिया.
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गुरुद्वारा लंढौर साहिब के अध्यक्ष एमपीएस खुराना ने कहा कि पिछले 105 सालों से सिख समुदाय के साथ सभी धर्मों के लोग गुरुद्वारा साहिब का सालाना दीवान निकालते हैं और भाईचारे का संदेश देने का काम करते हैं. यह सालाना दीवान अंग्रेजों के समय भी बड़ी धूमधाम के साथ निकाला जाता था. जिसमें हजारों की तादाद में मसूरी और आसपास के गांव वाले प्रतिभाग करते हैं.
गुरुद्वारा लंढौर साहिब का 105वां दीवान एमपीएस खुराना ने कहा कि हेमकुंड साहिब की खोज में मसूरी का अहम योगदान है. हेमकुंड साहिब की खोज पर निकले लोग मसूरी पहुंचे, जहां मसूरी के हवलदार मोदम सिंह ने मसूरी गुरुद्वारा को हेमकुंड साहिब की खोज पर निकले लोगों से 601 रुपये अनुदान दिया था. वह खुद भी उन लोगों के साथ शामिल हो गए थे. कुछ ही दिनों में उन लोगों ने हेमकुंड साहिब की खोज कर ली थी, जहां गुरु गोविंद ने तप किया गया था.