गेस्ट हाउसों पर माननीयों के करीबियों का कब्जा! देहरादून: विधायक हॉस्टल में दूर-दराज से आने वाले क्षेत्रवासियों को यहां की व्यवस्था के कारण निराश होना पड़ रहा है. मामला एमएलए हॉस्टल में मौजूद गेस्ट हाउस पर माननीयों या उनके करीबियों के कब्जे का है. जिससे राज्य संपत्ति विभाग भी परेशान है. बावजूद इसके माननीयों के सामने अधिकारी बेबस हैं और सिस्टम लाचार.
विधायक आवास में हैं 3 दर्जन गेस्ट हाउस: राज्य संपति विभाग के एमएलए हॉस्टल में प्रदेश भर के तमाम विधायकों को फ़्लैट्स आबंटित किये जाते हैं. राजधानी देहरादून में विधायकों के लिए सरकारी आवास के रूप में यही व्यवस्था है. यहां हर विधायक को एक-एक फ्लैट दिए जाने का प्रावधान है. जिसमें रहकर विधायक अपने क्षेत्रों के विकास कार्यों को राजधानी से आगे बढ़ा सकता है. इसके जरिये राजधानी में विधायक को एक कार्यालय और आवास मिल जाता है. लेकिन इन फ़्लैट्स में करीब 3 दर्जन ऐसे फ़्लैट्स भी हैं, जिनके खाली होने के कारण उन्हें गेस्ट हाउस में कन्वर्ट किया गया है.
सस्ते गेस्ट हाउस का है लालच! विधायक आवास के गेस्ट हाउस का कम है किराया:दरअसल सरकार में मुख्यमंत्री, मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष को अलग से कोठियां उपलब्ध होती हैं जो सीएम आवास या मंत्री आवास के रूप में होती हैं. इस वजह से इन सभी के एमएलए ट्रांजिट हॉस्टल में फ़्लैट्स खाली रहते हैं और इन्हें विधायकों, मंत्रियों या सांसदों के मेहमानों के लिए गेस्ट हाउस बनाया जाता है. इनका बेहद कम किराया तय किया जाता है. बस यही कम किराया इन पर कब्जे की वजह बन जाता है.
विधायक आवास का गेस्ट हाउस मिलना माने लॉटरी लगना:देहरादून के रेसकोर्स क्षेत्र में एमएलए ट्रांजिट हॉस्टल मौजूद है. ये देहरादून का ना केवल सेंटर प्लेस है, बल्कि पॉश इलाका भी है. लिहाजा यहां सरकारी दर पर फ्लैट मिलना किसी के लिए भी लॉटरी लगने जैसा है. इसलिए विधायक या मंत्रियों के करीबी उनकी सिफारिश पर इनको कब्जा लेते हैं. अब जानिए विधायक हॉस्टल को लेकर बिंदुवार कुछ महत्वपूर्ण जानकारी.
इतनी सस्ती दर पर मिलते हैं विधायक आवास के गेस्ट हाउस!
MLA ट्रांसिट हॉस्टल में करीब तीन दर्जन गेस्ट हाउस के फ्लैट मौजूद हैं
हॉस्टल में दो तरह के फ्लैट मेहमानों के लिए हैं मौजूद
इसमें किराया 50 और 100 रुपये प्रतिदिन की दर पर हुआ है तय
विधायकों के करीबियों ने यहां मेहमानों के तौर पर रहने के बजाय परमानेंट लगाया ताला
इन्होंने यहां 1500 से 3 हज़ार देकर बनाया आशियाना
दुर्गम क्षेत्रों से आने वालों को नहीं मिल पाता कमरा
9 विधायकों के करीबियों ने गेस्ट हाउस पर किया कब्जा!हालांकि राज्य संपति विभाग की तरफ से इन कमरों में कब्जे को लेकर अब तक कोई सूचना या नोटिस सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन जानकारी के अनुसार दो मंत्रियों, 09 विधायकों और 02 पूर्व विधायक खुद या उनके करीबी इनमें मेहमानों की तरह नहीं बल्कि स्थायी रूप से रह रहे हैं. इनमें मंत्री गणेश जोशी और सुबोध उनियाल के करीबियों ने परमानेंट आशियाना बनाया है. विधायक शैलारानी रावत, संजय डोभाल, दुर्गेश लाल, फ़क़ीर राम टम्टा, विनोद चमोली, दिलीप रावत, प्रीतम पंवार, शक्ति लाल और प्रमोद नैनवाल के नाम से भी गेस्ट हाउस बुक हैं. पूर्व विधायक विजय पंवार और प्रेम सिंह राणा ने भी कब्जा जमाया हुआ है.
विधायक चमोली को कुछ भी पता नहीं!बड़ी बात यह है कि विधायक ट्रांसिट हॉस्टल में जितने भी गेस्ट हाउस हैं, उन सभी पर भाजपा विधायकों के करीबी ही दावा ठोके बैठे हैं. इस मामले पर ईटीवी भारत में भाजपा के विधायक विनोद चमोली से बात की गई तो उन्होंने इसकी जानकारी होने से इनकार कर दिया. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करना गलत है. लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि विधायक हॉस्टल में गेस्ट हाउस पर इस तरह विधायकों के करीबियों की तरफ से परमानेंट ताले लगाए गए हैं.
कांग्रेस ने खड़े किए सवाल:MLA ट्रांजिट हॉस्टल पर विधायकों के नाम से आखिरकार कौन रह रहे हैं, इस पर भी राज्य संपति विभाग की तरफ से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं आई है. हालांकि विपक्षी दल कांग्रेस के नेता इस बात को लेकर जरूर सवाल खड़े कर रहे हैं. दरअसल ट्रांजिट हॉस्टल में स्थित गेस्ट हाउस पर भाजपा के मंत्रियों और विधायकों के ही करीबियों के कब्जे होने से कांग्रेस को इस पर सवाल उठाने का बड़ा मौका मिल गया है. लिहाजा पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट कहते हैं कि इस मामले में जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकती है, लेकिन राज्य संपत्ति विभाग क्यों इसको लेकर कार्रवाई नहीं कर रहा है एक बड़ा सवाल है.
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