देहरादूनः उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में कोरोना संक्रमण की रफ्तार कुछ कम हुई है, लेकिन पहाड़ी इलाकों स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है. इसी के मद्देनजर सरकार ने कोरोना कर्फ्यू को एक हफ्ते और बढ़ा दिया है. ग्रामीण इलाकों में क्या हालात हैं, ये जानने के लिए हमारी टीम ने देहरादून की चकराता विधानसभा के दुर्गम ग्रामीण इलाकों का रुख किया.
ग्रामीण इलाकों में सीमित स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के चलते कोरोना संक्रमण से क्या हालात हैं, ये जानने के लिए हमारी टीम चकराता विधानसभा के कुछ ग्रामीण इलाकों में पहुंची और वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए इन गांवों का रुख किया जहां पर तस्वीरें बिल्कुल बदली हुई हैं.
चकराता के ग्रामीणों का कहना है कि यहां संक्रमण की दहशत बेहद कम है. लोग इसे एक सामान्य वायरल समझ रहे हैं. इसी कारण लोगों में जागरुकता की भी काफी कमी देखी जा रही है. फेस मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर कोई भी गंभीर नहीं है. हालांकि इसके अलावा ग्रामीणों का कहना है कि गांव में हालात बेहतर है. कोरोना संक्रमण का असर गांव में नहीं है.
बुजुर्गों के आगे कोरोना ने कैसे टेके घुटने?
इस दौरान हमने खासतौर से जिंदगी का एक अहम पड़ाव पार कर चुके बुजुर्गों से बातचीत की और उनसे कोविड पर चर्चा की. कोरोना वायरस में सबसे ज्यादा जोखिम बुजुर्गों के लिए ही बताया जा रहा है. हमने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले तकरीबन 60 और 70 वर्ष की उम्र पार कर चुके इन बुजुर्गों से बातचीत की. पहाड़ी अंचलों के इन बुजुर्गों का मानना है कि उनकी पारम्परिक जीवन शैली, खान-पान और दिनचर्या के कारण ही कोरोना संक्रमण का उनपर कुछ असर नहीं हुआ.