देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में करोड़ों रुपए की लागत से बना बडासी का पुल तीन साल में ही मिट्टी में मिल गया. मुख्यमंत्री रहते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जिस जीरो टॉलरेंस और विकास कार्यों में गुणवत्ता को लेकर कोई कंप्रोमाइज नहीं करने का जो दावा किया था, उस पर बडासी पुल ने पानी फेर दिया. करोड़ों की लागत से बना पुल तीन में जमीन पर आ गया.
देहरादून के रायपुर क्षेत्र में बुधवार रात को बडासी पुल का टूटना कोई सामान्य बात नहीं है. ऐसा इसीलिए कहा जा रहा है क्योंकि यह पुल 2018 में ही बना था और किसी पुल का तीन के अंदर बीच में टूट जाना अपने आप में सवाल खड़े करते थे. गुरुवार को ईटीवी भारत ने मौके पर पहुंचकर पुल के टूटे हिस्से को देखा तो पता चला कि पुल से जो पुस्त बनाए गए थे, उसमें सरिये का बहुत कम इस्तेमाल किए गया था. हालांकि इसका खुलासा तो जांच के बाद ही हो पाएगा.
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जानकारी के अनुसार 2018 में इस पुल को बनाया था और इसका शुभारंभ तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था. खास बात यह है कि इस पुल से ठीक पहले बनाए गए भोपाल पानी के पुल में भी खराब गुणवत्ता की ऐसी ही शिकायतें मिली थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री रहते त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुछ इंजीनियरों को सस्पेंड भी किया था.
तीन साल में ही टूट गया पुल. ऐसे में सवाल उठता है कि इस दौरान बनाए गए पुलों में एक के बाद एक गड़बड़ी क्यों सामने आ रही है? इस पर स्थानीय लोगों से जब हमने बात की तो पता चला कि लोग भी इसकी गुणवत्ता को लेकर शिकायत करते रहे हैं और अब जब यह पुल टूट चुका है तो इसके बाकी हिस्से के भी टूटने का खतरा बना हुआ है. बावजूद इसके यहां न तो मौके पर कोई विभागीय कर्मचारी मिला और न ही ऐसी कोई व्यवस्था की गई, ताकि लोग यहां से सुरक्षित निकल सके. क्योंकि लोग मजबूरी में अपनी जान जोखिम में डालकर वहां से जाने को मजबूर है.