देहरादून: अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर जहां एक तरफ सरकार ने कवायत तेज की है तो वहीं कर्मचारियों में भी असन्तोष बढ़ने लगा है. कर्मचारियों का कहना है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम पर किसी कर्मचारी का उत्पीड़न नहीं होना चाहिए.
गुरुवार को कार्मिक विभाग ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति की प्रोग्रेस रिपोर्ट तलब की थी. जिसके बाद कर्मचारियों में अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम उत्पीड़न का डर सताने लगा है. शुक्रवार को कर्मचारी संगठन से जुड़े लोगों ने इस मामले पर बयान जारी करते हुए कहा कि सरकारी तंत्र की क्षमता बढ़ाने के लिए अगर कोई फैसला लिया वो सरकार के इस फैसले का जरुर स्वागत करते, लेकिन अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम पर यदि कर्मचारियों का उत्पीड़न किया जाएगा और जबरन सेवानिवृत्ति दी जाती है तो कर्मचारी संगठन इसका विरोध करेगा.
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सचिवालय संघ के उपाध्यक्ष संदीप चमोला का कहना है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति की जगह बेहतर होता कि सरकार स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की दिशा में काम करती. उनका कहना है कि कुछ ही कर्मचारी ऐसे है जो अपनी सेवा का गलत फायदा उठा रहे है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर सरकार सभी कर्मचारियों को परेशान करे.
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वहीं, दूसरी ओर कर्मचारी संघ के इस विरोध के बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का भी बयान आया. मुख्यमंत्री का कहना है कि सरकार का काम फैसला लेना है और सरकार ने फैसला ले लिया है. सीएम ने कहा कि जरूरी नहीं कि सरकार के हर फैसले से सभी खुश हो, लेकिन सरकार को प्रदेश की बेहतरी के लिए फैसले लेने होते हैं. अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी विभागों से लिस्ट मांगी गई है. लिस्ट आने के बाद उस पर ज्यादा चर्चा की जाएगी.