देहरादून:आपको सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन यह सच है कि उत्तराखंड में कुछ वन क्षेत्र पर्यावरण के लिए ही खतरा बन गए हैं. दरअसल जैव विविधता का पर्यावरण में एक खास स्थान है. इसी जैव विविधता को उत्तराखंड में पहाड़ों पर फैला एक खास वन क्षेत्र नुकसान पहुंचा रहा है. हालत यह है कि अब सरकार भी केंद्र से इन वन क्षेत्रों को काटने की इजाजत मांगने में जुट गयी है. क्या है यह पूरा मामला और किस वृक्ष ने उत्तराखंड के पहाड़ों में बढ़ा दी है मुसीबतें. पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट.
पर्यावरण को संरक्षित रखने में उत्तराखंड ने बेहद अहम भूमिका निभाई है. राज्य में 70% क्षेत्र वनों से आच्छादित है. बावजूद इसके राज्य में तेजी से विकास योजनाओं के लिए वृक्षों का कटान भी बड़ी मात्रा में किया गया है. राज्य में ऐसे कई नियम हैं जिनके कारण वृक्षों को काटना प्रतिबंधित है. इसके लिए बेहद सख्त नियम बनाए गए हैं. वैसे तो वन क्षेत्र को इन नियमों का लाभ हुआ है, लेकिन इसी नियम के चलते प्रदेश में एक खास तरह की परेशानी भी खड़ी हो गई है. यह परेशानी प्रदेश में तेजी से फैल रहे चीड़ के वनों को लेकर है. ये पेड़ राज्य में जैव विविधता समेत कई तरह से परेशानियों की वजह बने हुए हैं. सबसे पहले जानिए की प्रदेश में वृक्षों की कौन सी प्रजाति कितने प्रतिशत क्षेत्र में फैली हुई है.
कौन से कितने वन ?
- चीड़ के वृक्ष राज्य में करीब 16 प्रतिशत वन क्षेत्र को कब्जे में लिए हुए हैं.
- दूसरे नंबर पर बांज है, जो फिलहाल करीब 15% वन क्षेत्र में मौजूद है.
- साल के वृक्ष 12 प्रतिशत क्षेत्र में हैं.
- फर के वृक्ष 4 प्रतिशत क्षेत्र में हैं
- यूकेलिप्टस, सागौन और देवदार के पेड़ सिर्फ 1 प्रतिशत से भी कम क्षेत्र में हैं.
- अलग अलग प्रजाति के वृक्ष 24 प्रतिशत क्षेत्र में फैले हुए हैं.
ये आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि प्रदेश में पहाड़ी क्षेत्रों में चीड़ के जंगल बेहद तेजी से फैले हैं. इसको नियंत्रित करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है. त्रिवेंद्र सरकार की तरफ से कोशिश यह है कि चीड़ के जंगलों के कटान की अनुमति केंद्र से ली जाए और व्यापारिक उपयोग पर भी चीड़ के कटान को खोला जाए.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि सरकार ने FRI. से रिसर्च करवाई है और इस दौरान करीब 1,000 मीटर से ऊपर लगने वाले चीड़ के जंगलों से जैव विविधता को बेहद नुकसान होने की बात रिसर्च में सामने आई है. इसीलिए अब सरकार भारत सरकार से चीड़ के जंगलों को काटे जाने को लेकर अनुमति लेने के प्रयास में जुटी हुई है. ऐसा क्या है कि सरकार बेहद गंभीरता के साथ चीड़ के जंगलों को काटने में तुली हुई है. यह जानने के लिए चीड़ के उपयोगों और नुकसान को भी जानना बेहद जरूरी है.
चीड़ के फायदे
- चीड़ को फायदे के रूप में देखा जाए तो इसके पत्ते बेहद ज्वलनशील होते हैं. इसलिए इनका विभिन्न कार्यों के लिए उपयोग किया जा सकता है.
- चीड़ की लकड़ी का भी व्यवसायिक कार्यों में उपयोग किया जाता है और इस लिहाज से इसके अलग ही फायदे हैं.
- चीड़ के पेड़ों से लीसा निकलता है और यह भी व्यवसायिक रूप से इस पेड़ का फायदा है.